आईपीएल स्काउटिंग सर्कल में पिछले साल मार्च में अचानक एक नया नाम गूंजने लगा. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के साथ ट्रायल्स के कुछ वीडियो ऐसे वायरल हुए कि टैलेंट स्काउट्स के बीच हलचल मच गई. शॉट्स की ताकत इतनी थी कि यह बल्लेबाज एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में स्पिनर्स को सीधे मैदान के पार भेज रहा था. 22 साल का रविचंद्रन स्मरण... बाएं हाथ का यह बल्लेबाज सिर्फ छक्कों पर ही नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वास और सहज अंदाज से भी सबकी नजर में आ गया.
हर ट्रायल में मिले बेहतरीन फीडबैक के बावजूद रविचंद्रन स्मरण को आईपीएल में जगह नहीं मिली. लेकिन निराश होने की बजाय उन्होंने अपनी तैयारी का एक नया मिशन शुरू किया- सुबह नेट्स, दिन में जिम तथा रनिंग और शाम को पिकलबॉल, ताकि फिटनेस बरकरार रहे और दिमाग तरोताजा. इसी दौरान किस्मत ने दरवाजा खटखटाया- सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) का फोन आया. इस फ्रेंचाइजी को एडम जाम्पा का रिप्लेसमेंट चाहिए था.
किस्मत ने अचानक खेल बदल दिया
हालांकि रविचंद्रन स्मरण न तो लेग स्पिनर थे और न ही एडम जाम्पा से मिलते-जुलते विकल्प, फिर भी यह साइनिंग इस ओर इशारा कर रही थी कि फ्रेंचाइजी उन्हें लंबे समय की योजना का हिस्सा मान रही है. लेकिन किस्मत ने अचानक खेल बदल दिया- ट्रेनिंग के दौरान कैच पकड़ते वक्त वह विज्ञापन बोर्ड से टकरा गए, चोटिल हो गए और उनका आईपीएल सीजन शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया.
... पर हार नहीं मानी
चोट के बाद सिर्फ अपने दूसरे प्रोफेशनल मैच में (केएससीए महाराजा टी20 ट्रॉफी) स्मरण ने गुलबर्गा मिस्टिक्स की ओर से मौजूदा चैम्पियन मैसूर वॉरियर्स के खिलाफ 22 गेंदों में नाबाद 55 रन ठोके. मैच का अंत उन्होंने एक गगनचुंबी छक्के से किया, जो मैदान से बाहर पेड़ों में जाकर गिरा. यह उनके दूसरे प्रोफेशनल सीजन की शानदार शुरुआत थी.
करीब छह फीट लंबे बाएं हाथ के बल्लेबाज स्मरण आसानी से गेंद को बाउंड्री पार भेज पाते हैं. वह बैकफुट पर मजबूत हैं, लेंथ जल्दी भांप लेते हैं और स्पिन के बेहतरीन खिलाड़ी हैं. यह बात कई पूर्व कर्नाटक क्रिकेटर और टैलेंट स्काउट्स मानते हैं.
ईएसपीएन क्रिकइंफो से स्मरण ने कहा, 'शुरुआत से ही मेरे पास छक्के मारने की क्षमता रही है, लेकिन तीनों फॉर्मेट में अच्छा बनने के लिए गेम को कंट्रोल करना जरूरी है. टी20 में विकेट अच्छे होते हैं और मैदान छोटे, इसलिए छक्के लगना स्वाभाविक है. लेकिन बचपन से रेड बॉल क्रिकेट मेरी प्राथमिकता रही है, मेरा सपना भारत के लिए टेस्ट खेलना है. टी20 तो उसका बोनस होगा.'
रणजी से लेकर व्हाइट बॉल का सफर
2024-25 रणजी ट्रॉफी में स्मरण की शुरुआत अच्छी नहीं रही. टॉप-5 में खेलते हुए पहले पांच मैचों में वे एक भी अर्धशतक नहीं बना सके. सीजन के बीच सैयद मुश्ताक अली टी20 में उन्हें शुरुआती मैच में जगह नहीं मिली, लेकिन मनीष पांडे को ड्रॉप करने के बाद त्रिपुरा के खिलाफ डेब्यू हुआ. उन्होंने 31 गेंदों में 57 रन बनाकर 186 के लक्ष्य में अहम योगदान दिया.
इसके बाद विजय हजारे ट्रॉफी में विदर्भ के खिलाफ फाइनल में 101 (92 गेंद) की शानदार पारी खेली. टीम 67/3 के संकट में थी, लेकिन उन्होंने स्कोर 348 तक पहुंचाया और कर्नाटक 36 रनों से जीत गया. स्मरण ने 7 पारियों में 433 रन (औसत 72.16) बनाए, जिसमें 2 शतक और 2 अर्धशतक शामिल रहे.
दूसरे चरण के रणजी सीजन में पंजाब के खिलाफ ग्रीन टॉप पर उन्होंने अपना पहला फर्स्ट-क्लास शतक बनाया और उसे दोहरे शतक में बदला. अंत में उन्होंने 10 पारियों में 516 रन (औसत 64.50) बनाए.
चोट, नाउम्मीदी और वापसी
2019-20 में स्मरण कर्नाटक अंडर-19 के लिए लगातार रन बना रहे थे और बीसीसीआई के अंडर-19 वर्ल्ड कप 2022 के संभावित खिलाड़ियों में थे. लेकिन 2020 की शुरुआत में उनके दाहिने पिंडली में स्ट्रेस फ्रैक्चर हो गया. कोविड लॉकडाउन के चलते उन्होंने ज्यादा क्रिकेट मिस नहीं किया, लेकिन लंबे ब्रेक से वजन बढ़ गया और फॉर्म पर असर पड़ा. अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में जगह नहीं मिली और यश धुल की कप्तानी में भारत ने खिताब जीत लिया.
स्मरण याद करते हैं, 'उस वक्त लगा जैसे सब खत्म हो गया है. एक महीने तक किसी चीज में मन नहीं लगा. मेरे कोच सैयद जबीउल्लाह ने मुझे संभाला और कहा कि यह अंत नहीं है, लक्ष्य कर्नाटक के लिए खेलना होना चाहिए.'
चोट से उबरने के बाद उन्होंने दो अच्छे सीजन खेले, लेकिन कर्नाटक की सीनियर टीम में जगह पाना आसान नहीं रहा. आखिरकार पिछले साल उन्हें डेब्यू का मौका मिला.
परिवार और आगे की राह
स्मरण का परिवार खेल से नहीं जुड़ा है. पिता मैकेनिकल इंजीनियर हैं और सोलर इन्वर्टर बनाते हैं, मां गृहणी हैं और चाहती थीं कि बेटा इंजीनियर बने. उनके पास कॉमर्स में बैचलर डिग्री है और परिवार में ज्यादातर इंजीनियर हैं.
आगे का लक्ष्य साफ है -
स्मरण कहते हैं- कर्नाटक के लिए रणजी ट्रॉफी जीतना, जो 2014-15 के बाद से हमारी टीम नहीं जीत पाई है. शुरुआत में आत्मविश्वास की कमी थी, लेकिन अब अपने खेल को बेहतर समझने लगा हूं. लक्ष्य टीम को जिताना है, बाकी सब अपने आप होगा.'