...जब राहुल द्रविड़ ने मार्च 2012 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया, तो फैन्स के मन में एक ही सवाल था कि टीम इंडिया की इस 'दीवार' की जगह टेस्ट क्रिकेट में नंबर-3 पर कौन बैटिंग करेगा. इस सवाल का जवाब चेतेश्वर पुजारा ने दिया. पुजारा ने ना सिर्फ नंबर-3 पर बैटिंग की, बल्कि अपने प्रदर्शन से द्रविड़ की कमी को काफी हद तक महसूस नहीं होने दिया. पुजारा की बैटिंग का नजरिया द्रविड़ की तरह ही धैर्यपूर्ण और शांत था. तभी तो उन्हें 'वॉल 2.0' कहा जाने लगा.
अब चेतेश्वर पुजारा ने 24 अगस्त को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने का फैसला किया. पुजारा जैसा बैटर क्रिकेट के इस मॉडर्न युग में भारतीय टीम को शायद ही मिले. 37 साल के पुजारा ने अपने करियर में कई यादगार पारियां खेलीं, मगर जनवरी 2021 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर खेली गई उनकी 56 रन की इनिंग्स बेहद खास थी. वो इनिंग्स उतनी बड़ी नहीं थी, लेकिन मैच तब जिस मोड़ पर था, ऐसे में वो इनिंग्स किसी शतक से कम नहीं थी. पुजारा की साहसिक पारी ने ही उस मुकाबले में भारतीय टीम की ऐतिहासिक जीत की नींव रखी.
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उस मुकाबले के पांचवें दिन चेतेश्वर पुजारा ने 211 गेंदों का सामना किया. इस दौरान कंगारू तेज गेंदबाजों ने बॉडीलाइन गेंदबाजी की रणनीति अपनाई और पुजारा के शरीर को निशाना बनाया. पुजारा को 11 बार चोट लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और देश की खातिर किसी योद्धा की तरह क्रीज पर डटे रहे.
उस इनिंग्स में 6 मौकों पर तो पैट कमिंस की गेंदें चेतेश्वर पुजारा को लगी. वहीं मिचेल स्टार्क की 2 गेंदों उनके दस्ताने पर लगी. जोश हेजलवुड की 3 गेंदे भी पुजारा के शरीर पर हिट हुईं. कुल मिलाकर पुजारा के हेलमेट/गर्दन पर 2 बार, पीठ पर 2 बार, जांघ पर 1 बार, सीने पर 1 बार, बाइसेप पर 1 बार, बाईं कोहली के ऊपर 1 बार और ग्लव्स पर 4 बार गेंद लगी.
पुजारा को कब-कब लगी चोट?
32.5 ओवर- हेलमेट के पीछे (पैट कमिंस)
34.3 ओवर- गर्दन के नीचे पीठ (पैट कमिंस)
36.2 ओवर- जांघ के पिछले हिस्से पर (पैट कमिंस)
36.5 ओवर- सीने पर (पैट कमिंस)
30.1 ओवर- लेफ्ट बाइसेप पर (पैट कमिंस)
40.3 ओवर- ग्लव के किनारे पर (पैट कमिंस)
16.5 ओवर- ग्लव के किनारे पर (मिचेल स्टार्क)
43.1 ओवर- ग्लव के किनारे पर (मिचेल स्टार्क)
44.3 ओवर- बाईं कोहनी के ऊपर (जोश हेजलवुड)
48.2 ओवर- ग्लव के किनारे पर लगी और बैट छूट गया (जोश हेजलवुड)
50.5 ओवर- हेलमेट पर लगी और नेक गार्ड गिर गया (जोश हेजलवुड)
चेतेश्वर पुजारा की इस जुझारू पारी ने ऑस्ट्रेलिया की धारदार गेंदबाजी को कुंद कर दिया. इस इनिंग्स ने विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत के लिए एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म तैयार किया. पंत ने नाबाद 89 रन बनाए और भारत को गाबा में 3 विकेट से ऐतिहासिक जीत मिली. इस जीत के साथ ही भारत ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2-1 से अपने नाम कर लिया था.
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गाबा टेस्ट मैच के बाद चेतेश्वर पुजारा ने बताया था कि उस पिच पर गेंद असमान उछाल ले रही थी. ऐसे में शॉट खेलना या बॉल को डिफेंड करना खतरे से खाली नहीं था. पुजारा ने उस इनिंग्स को लेकर कहा था, 'अगर मैं बल्ले से खेलता तो कैच आउट होने का खतरा ज्यादा था, इसलिए मैंने शरीर पर गेंद झेलने का फैसला किया.'
चेतेश्वर पुजारा सिर्फ रन ही नहीं बनाते थे, बल्कि गेंदबाजों को थकाते भी देते थे. वो भारत के इकलौते बल्लेबाज हैं, जिन्होंने किसी टेस्ट पारी में 500 से ज्यादा गेंदें खेलीं. आज के दौर में टी20 क्रिकेट हावी है, ऐसे में उनके जैसा धैर्यवान और तकनीकी रूप से परिपूर्ण खिलाड़ी मिलना दुर्लभ है. पुजारा की कमी भारतीय ड्रेसिंग रूम में काफी समय तक महसूस की जाएगी.