भारत शनिवार को विशाखापत्तनम में होने वाले तीसरे और निर्णायक वनडे में दक्षिण अफ्रीका से दो-दो हाथ करने उतरेगा. सीरीज फिलहाल बराबरी पर है और टीम इंडिया की नजरें जीत के साथ मुकाबला अपने नाम करने पर होंगी. लेकिन इस मैच की सबसे बड़ी कहानी सिर्फ जीत नहीं- वाइजैग का वो मैदान भी है, जिसने कभी भारतीय क्रिकेट को 'धोनी' दिया था.
5 अप्रैल 2005- वह तारीख जिसने भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया. धोनी ने शुरुआती चार मैचों में 0, 12, 7* और 3 रन ही बना पाए थे. लेकिन वाइजैग में सौरव गांगुली ने एक मास्टरस्ट्रोक चला- सचिन तेंदुलकर (2 रन) के आउट होते ही धोनी को भेज दिया और बस… यहीं से कहानी पलट गई.
क्रीज पर कदम रखते ही धोनी ने पहली गेंद को चौके के लिए बाहर भेज दिया. पाकिस्तान के गेंदबाजों को उसी पल समझ आ गया था कि आज कुछ अलग होने वाला है. धोनी ने 123 गेंदों पर 148 रन ठोके,.जिसमें उनके ताबड़तोड़ 15 चौके के अलावा 4 बेहतरीन छक्के शामिल रहे. उन्होंने 49 गेंदों में हाफ-सेंचुरी और 88 गेंदों में शतक पूरा किया.
जब धोनी आउट हुए, स्कोरबोर्ड पर 289/4 चमक रहा था. भारत ने 356/9 का विशाल स्कोर खड़ा किया, जिसे पाकिस्तान हासिल नहीं कर सका. भारत 58 रनों से जीता और धोनी बने मैन ऑफ द मैच. वह सिर्फ पारी नहीं थी- वह था एक नए सितारे का उदय, जिसने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
भारतीय टीम उसी मैदान पर उतरेगी- जहां कभी धोनी का युग शुरू हुआ था. रोहित शर्मा और विराट कोहली से उम्मीदें फिर चरम पर हैं. दक्षिण अफ्रीका की टीम लड़ाकू है, लेकिन भारत के पास घरेलू हालात का बड़ा फायदा रहेगा. विशाखापत्तनम के इस स्टेडियम का नाम अब Dr. Y.S. Rajasekhara Reddy ACA-VDCA Cricket Stadium है.