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घुटनों के दर्द ने खोला राज... दक्षिण कोरिया की महिला के जोड़ों में मिले 'सोने के तार'

दक्षिण कोरिया की 65 साल की महिला के घुटनों में दर्द के एक्स-रे में 'सोने के तार' मिले. ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए एक्यूपंक्चर करवाया था, जिसमें तार टिश्यू में छोड़े गए. यह तकनीक एशिया में आम है, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं. तार सिस्ट बना सकते हैं. MRI जोखिम भरा है.

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महिला के एक्सरे में उसके घुटनों के आसपास सोने के तार दिख रहे हैं. (Photo: The New England Journal of Medicine)
महिला के एक्सरे में उसके घुटनों के आसपास सोने के तार दिख रहे हैं. (Photo: The New England Journal of Medicine)

दक्षिण कोरिया में एक 65 साल की महिला के घुटनों के दर्द ने डॉक्टरों को हैरान कर दिया. उनके एक्स-रे में सैकड़ों 'सोने के तार' दिखे. यह दर्द ऑस्टियोआर्थराइटिस का था, लेकिन तार एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट का हिस्सा थे. 

मरीज और उसकी समस्या: घुटनों में तेज दर्द

65 साल की एक महिला को कई सालों से घुटनों में दर्द था, जिसे डॉक्टरों ने ऑस्टियोआर्थराइटिस बताया. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों का कार्टिलेज घिस जाता है, जिससे दर्द और अकड़न होती है. महिला ने पहले दर्द निवारक दवाएं (NSAIDs) और स्टेरॉयड इंजेक्शन लिए, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ. दवाओं से पेट में दर्द शुरू हुआ, तो उसने दवाएं बंद कर दीं. फिर उसने वैकल्पिक इलाज के तौर पर एक्यूपंक्चर शुरू किया.

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एक्यूपंक्चर और हैरान करने वाला खुलासा

महिला ने हफ्ते में कई बार एक्यूपंक्चर करवाया, खासकर जब दर्द ज्यादा होता. बाद में, जब दर्द असहनीय हुआ, वह अस्पताल गई. डॉक्टरों ने घुटने का एक्स-रे किया, जिसमें चौंकाने वाला नजारा दिखा. घुटने की हड्डी (शिनबोन और थाईबोन) मोटी और सख्त हो गई थी. वहां 'बोनी स्पर्स' (हड्डी के उभार) थे. लेकिन सबसे हैरानी की बात थी सैकड़ों छोटे-छोटे सोने के तार, जो घुटने के आसपास दिखे.

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डॉक्टरों को पता चला कि ये तार एक्यूपंक्चर का हिस्सा थे. यह 'गोल्ड-थ्रेड एक्यूपंक्चर' तकनीक थी, जिसमें छोटे, स्टराइल सोने के तार जानबूझकर टिश्यू में छोड़ दिए जाते हैं ताकि लगातार स्टिमुलेशन मिले. यह एशिया में ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटॉयड आर्थराइटिस के लिए आम है.

क्या हुआ आगे?

रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि तार निकाले गए या नहीं, लेकिन पहले के केस में तार छोड़ दिए गए थे. हालांकि, यह जोखिम भरा है. तारों से सिस्ट (गांठें) बन सकती हैं. ये शरीर में दूसरी जगह जा सकते हैं. एक 75 साल की महिला के पीठ में डाले तार 10 साल बाद पैर में चले गए, जिससे सेलुलाइटिस (त्वचा का गंभीर इंफेक्शन) हुआ.

गोल्ड-थ्रेड एक्यूपंक्चर का सच

यह तकनीक एशिया में लोकप्रिय है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं कि यह काम करती है. उल्टा, यह नुकसान पहुंचा सकती है. एक 58 साल की महिला का रूमेटॉयड आर्थराइटिस गोल्ड-थ्रेड एक्यूपंक्चर के कारण बिगड़ गया, क्योंकि उसने सही दवाएं समय पर नहीं लीं.

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तारों से एक्स-रे पढ़ना मुश्किल होता है. MRI कराना खतरनाक है क्योंकि धातु हिलकर नसों को नुकसान पहुंचा सकती है. तारों को एक्स-रे में ट्रैक करना आसान है, लेकिन डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि इसके जोखिमों को समझना जरूरी है.

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वैकल्पिक इलाज पर सावधानी जरूरी

यह केस बताता है कि वैकल्पिक इलाज जैसे गोल्ड-थ्रेड एक्यूपंक्चर आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन बिना सबूत के खतरनाक हो सकते हैं. डॉक्टरों की सलाह है कि आर्थराइटिस के लिए सही मेडिकल ट्रीटमेंट लें. अगर वैकल्पिक इलाज ले रहे हैं, तो डॉक्टर को जरूर बताएं.

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