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क्या वायरस कभी मरते नहीं? अचानक दो साल बाद कोरोना की वापसी का समझें वैज्ञानिक कारण

कोरोना वायरस फिर से लौट रहा है क्योंकि यह बदलता रहता है. नए वेरिएंट बनाता है. वैक्सीन की इम्यूनिटी कम होने और लापरवाही से मामले बढ़ रहे हैं. वायरस जीवित नहीं होते लेकिन काफी चालाक होते हैं. ये अपना होस्ट बदलकर उसकी कोशिकाओं में बढ़ते हैं. म्यूटेट होते हैं. इसलिए खतरनाक होते हैं.

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कोरोनावायरस के लौटने पर सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या वायरस कभी मरते हैं या नहीं. (सभी फाइल फोटोः गेटी)
कोरोनावायरस के लौटने पर सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या वायरस कभी मरते हैं या नहीं. (सभी फाइल फोटोः गेटी)

कोरोना वायरस, जिसने 2019 में पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था, अब दो साल बाद फिर से कुछ जगहों पर वापस आ रहा है. लोग सोच रहे हैं कि क्या वायरस कभी मरते नहीं? और यह अचानक दोबारा क्यों लौट रहा है? आइए, इसके वैज्ञानिक कारण समझते हैं.

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वायरस मरते हैं या नहीं?

वायरस जीवित प्राणी नहीं होते, लेकिन वे बहुत चालाक होते हैं. वे इंसानों, जानवरों या पौधों की कोशिकाओं के अंदर रहकर अपनी संख्या बढ़ाते हैं. अगर वायरस को कोई मेजबान (होस्ट) नहीं मिलता, तो वह निष्क्रिय हो सकता है. या खत्म हो सकता है. लेकिन कुछ वायरस, जैसे कोरोना, पर्यावरण में कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं. साथ ही, अगर ये इंसानों में फैलते रहते हैं, तो ये खत्म नहीं होते.

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कोरोना की वापसी क्यों?

पिछले कुछ समय से भारत, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ रहे हैं. इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं...

वायरस में बदलाव (म्यूटेशन)

कोरोना वायरस समय के साथ बदलता रहता है. यह म्यूटेशन के जरिए नए रूप (वेरिएंट) बनाता है. नए वेरिएंट, जैसे NB.1.8.1 और LF.7 पुराने वैक्सीन के असर को कम कर सकते हैं. भारत में JN.1 वेरिएंट सबसे ज्यादा देखा गया है, जो 53% मामलों में पाया गया.

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प्रतिरोधक क्षमता कम होना

वैक्सीन या पहले हुए संक्रमण से मिली इम्यूनिटी समय के साथ कमजोर पड़ सकती है. खासकर बुजुर्गों में, जो बूस्टर डोज नहीं लेते, वायरस से लड़ने की ताकत कम हो जाती है. सिंगापुर में स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कम बूस्टर डोज लेने से मामले बढ़ रहे हैं.

लोगों का लापरवाह होना

जब मामले कम होते हैं, लोग मास्क, सैनिटाइजर और सामाजिक दूरी जैसे नियम भूल जाते हैं. इससे वायरस को फिर से फैलने का मौका मिलता है. घनी आबादी वाले शहरों, जैसे दिल्ली और मुंबई में यह तेजी से फैलता है.

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मौसम और यात्रा

ठंडा मौसम या बारिश वायरस के फैलने में मदद कर सकता है. साथ ही, लोग जब ज्यादा यात्रा करते हैं, जैसे छुट्टियों में, वायरस एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाता है. सिंगापुर में चीनी नव वर्ष के समय यात्रा बढ़ने से मामले बढ़े.

क्या यह पहले जितना खतरनाक है?

अच्छी खबर यह है कि नए वेरिएंट ज्यादातर हल्के लक्षण वाले हैं, जैसे बुखार, खांसी या सर्दी. भारत में नए मामलों में गंभीर बीमारी के संकेत कम हैं. ज्यादातर मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही. फिर भी, सतर्क रहना जरूरी है.

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क्या करें बचाव के लिए?

  • मास्क पहनें: खासकर भीड़ वाली जगहों पर मास्क लगाएं.
  • हाथ धोएं: बार-बार साबुन से हाथ धोना या सैनिटाइजर इस्तेमाल करें.
  • बूस्टर डोज लें: वैक्सीन की बूस्टर खुराक इम्यूनिटी बढ़ाती है.
  • लक्षण दिखें तो जांच कराएं: अगर बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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