scorecardresearch
 

जलवायु परिवर्तन की मार... भारत में एक-तिहाई लोग भोजन की कमी से परेशान

जलवायु परिवर्तन से भारत में 38% लोग भोजन की कमी से चिंतित हैं. 2024 में 71% ने भीषण गर्मी का सामना किया. सूखा, बाढ़ और प्रदूषण भी बढ़ रहे हैं. 86% लोग 2070 नेट जीरो लक्ष्य का समर्थन करते हैं. 93% अपनी जीवनशैली बदलने को तैयार हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ रही है. जागरूकता और नीतियों की जरूरत है.

Advertisement
X
38% लोगों ने भोजन की कमी या अकाल का अनुभव किया. (फाइल फोटोः AFP)
38% लोगों ने भोजन की कमी या अकाल का अनुभव किया. (फाइल फोटोः AFP)

जलवायु परिवर्तन अब केवल विकसित देशों का मुद्दा नहीं है. यह भारत के आम लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है. येल-सीवोटर सर्वे (दिसंबर 2024-फरवरी 2025) के अनुसार 38% भारतीयों ने पिछले एक साल में भोजन की कमी का सामना किया. 

Advertisement

जलवायु परिवर्तन का असर

गर्मी की लहरें: 2024 भारत का सबसे गर्म साल था, तापमान सामान्य से 0.65 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा. 71% भारतीयों ने पिछले साल भीषण गर्मी का सामना किया.

भोजन की कमी: 38% लोगों ने भोजन की कमी या अकाल का अनुभव किया. तीन-चौथाई भारतीय भोजन की कमी को लेकर बहुत या मध्यम चिंतित हैं. इसके लिए ग्लोबल वॉर्मिंग को जिम्मेदार मानते हैं.

यह भी पढ़ें: क्यों आई सिक्किम में ऐसी बाढ़... दो साल बाद फिर तबाही की बारिश

Climate change hits home

अन्य समस्याएं... 

  • 60% लोगों ने कृषि में कीट और बीमारियों का सामना किया.
  • 59% ने बिजली कटौती, 53% ने जल प्रदूषण, 52% ने सूखा और पानी की कमी और 52% ने गंभीर वायु प्रदूषण का अनुभव किया.
  • दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत में हैं. 2024 की सर्दियों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 1,000 से अधिक था, जो हेल्थ इमरजेंसी है. 

भारत में भोजन की कमी क्यों?

Advertisement

विश्व बैंक के अनुसार, 2023 तक भारत ने अत्यधिक गरीबी (प्रति दिन 2.15 डॉलर की आय) को 3.4% तक कम कर दिया. येल-सीवोटर सर्वे बताता है कि 38% भारतीयों ने भोजन की कमी का सामना किया. इसका कारण...

यह भी पढ़ें: बर्फ पिघलेगी... बारिश बढ़ेगी...गंगा का पानी का फ्लो 50% बढे़गा... अधिक आपदाएं आएंगी, IIT रुड़की के वैज्ञानिकों की स्टडी

जलवायु परिवर्तन: गर्मी, सूखा और बाढ़ से फसलें नष्ट हो रही हैं.

कृषि समस्याएं: कीट और बीमारियां फसलों को प्रभावित कर रही हैं.

आर्थिक असमानता: हाल ही में गरीबी से निकले लोग अभी भी भोजन असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है, जो इस समस्या को दर्शाता है.

Climate change hits home

भारतीयों की सक्रियता

भारतीय जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तैयार हैं...

नीति समर्थन: 2023 के येल-सीवोटर सर्वे के अनुसार 86% भारतीय सरकार के 2070 नेट जीरो लक्ष्य का समर्थन करते हैं. 55% का मानना है कि भारत को तुरंत उत्सर्जन कम करना चाहिए.

जीवनशैली में बदलाव: 93% भारतीय पर्यावरण बचाने के लिए अपनी दिनचर्या बदलने को तैयार हैं. पटाखों पर प्रतिबंध, पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति विसर्जन और होली और प्लास्टिक से दूरी जैसे कदम इसका सबूत हैं.

इलेक्ट्रिक वाहन (EV): भारतीय तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना रहे हैं. अनुमान है कि 2030 तक EV की बिक्री 1.7 करोड़ यूनिट प्रति वर्ष होगी.

Advertisement

यह भी पढ़ें: कहां गायब हो गया Switzerland का खूबसूरत ब्लैटेन गांव? तस्वीरों में देखें ग्लेशियर से तबाही का मंजर

ऊर्जा दक्षता: 66% लोग अधिक ईंधन-कुशल वाहनों का समर्थन करते हैं, भले ही इससे लागत बढ़े. 77% चाहते हैं कि इमारतें कम ऊर्जा और पानी बर्बाद करें. 73% लोग 2015 पेरिस जलवायु समझौते का समर्थन करते हैं.

जागरूकता की कमी

32% भारतीयों ने ग्लोबल वॉर्मिंग के बारे में कभी नहीं सुना. यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन और इसके स्थानीय प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.

Climate change hits home

सर्वे की जानकारी

कब और कैसे: येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सीवोटर ने 5 दिसंबर 2024 से 18 फरवरी 2025 तक 10,751 वयस्कों का सर्वे किया. मोबाइल फोन के जरिए साक्षात्कार हुआ. सर्वे 12 भाषाओं (हिंदी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, ओडिया, बांग्ला, असमिया, अंग्रेजी) में किया गया.

जलवायु परिवर्तन भारत में भोजन, पानी और हवा को प्रभावित कर रहा है. 38% भारतीय भोजन की कमी से चिंतित हैं और गर्मी, सूखा और प्रदूषण बढ़ रहे हैं. फिर भी, भारतीय पर्यावरण बचाने के लिए तैयार हैं. सरकार और समाज को मिलकर जागरूकता बढ़ानी होगी. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने होंगे. (रिपोर्टः एंथनी लाइज़रोविट्ज़, एमिली रिचर्ड्स, जगदीश ठाकर और यशवंत देशमुख)

Live TV

Advertisement
Advertisement