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क्या वाकई रोबोट इंसानी बच्चे पैदा कर पाएंगे? जानिए साइंस इस बारे में क्या कहता है

क्या रोबोट निकट भविष्य में इंसानी बच्चे पैदा कर सकते हैं? साइंस के मुताबिक, यह तकनीक अभी शुरुआती चरण में है. कृत्रिम गर्भाशय समय से पहले जन्मे बच्चों को बचाने में मदद कर सकता है, लेकिन पूर्ण गर्भावस्था के प्रोसेस को अभी दूर की बात है. 2026 में प्रोटोटाइप बन सकता है, लेकिन इंसानों के लिए इसे सुरक्षित और व्यावहारिक बनाने में दशकों लग सकते हैं.

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रोबोट्स बच्चे बनाएंगे लेकिन पैदा नहीं कर पाएंगे. विज्ञान कई चीजों पर सवाल कर रहा है. (Photo: AI Generated)
रोबोट्स बच्चे बनाएंगे लेकिन पैदा नहीं कर पाएंगे. विज्ञान कई चीजों पर सवाल कर रहा है. (Photo: AI Generated)

चीन में वैज्ञानिक दुनिया का पहला ऐसा प्रेगनेंसी रोबोट बना रहे हैं, जो इंसानी बच्चे को गर्भ में रखकर जन्म दे सकता है. यह सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म की कहानी जैसा लगता है, लेकिन क्या यह वाकई संभव है? साइंस इस बारे में क्या कहता है? क्या यह निकट भविष्य में हो सकता है? अगर रोबोट इंसानी बच्चे पैदा करेंगे तो इसका समाज पर क्या असर होगा?

क्या है प्रेगनेंसी रोबोट?

चीन की कंपनी काइवा टेक्नोलॉजी के संस्थापक डॉ. झांग क्यूफेंग के नेतृत्व में ऐसा ह्यूमनॉइड रोबोट बनाया जा रहा है, जिसमें कृत्रिम गर्भाशय (आर्टिफिशियल वॉम्ब) होगा. यह रोबोट गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक की पूरी प्रक्रिया करने में सक्षम होगा. 

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इस कृत्रिम गर्भाशय में कृत्रिम एम्नियोटिक फ्लूइड (गर्भ में बच्चे को पोषण देने वाला तरल) होगा, और एक ट्यूब के जरिए भ्रूण को पोषक तत्व मिलेंगे. डॉ. झांग का दावा है कि यह तकनीक लगभग पूरा होने वाला है. 2026 तक इसका प्रोटोटाइप तैयार हो सकता है, जिसकी कीमत लगभग 10 लाख रुपये (100,000 युआन) होगी.

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क्या यह वैज्ञानिक रूप से संभव है?

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कृत्रिम गर्भाशय की तकनीक नई नहीं है. 2017 में अमेरिका के चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया के वैज्ञानिकों ने एक बायोबैग बनाया था, जिसमें समय से पहले जन्मे मेमने को कई हफ्तों तक जीवित रखा गया. इस बायोबैग में कृत्रिम एम्नियोटिक फ्लूइड और पोषक तत्वों की आपूर्ति थी, जिससे मेमने का विकास हुआ और वह स्वस्थ रहा.

हालांकि, यह तकनीक अभी तक इंसानी भ्रूण के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. गर्भधारण की प्रक्रिया जटिल है, जिसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं...

  • निषेचन (फर्टिलाइजेशन): अंडाणु और शुक्राणु का मिलन. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि रोबोट में यह प्रक्रिया कैसे होगी.
  • भ्रूण प्रत्यारोपण (इम्प्लांटेशन): भ्रूण का गर्भाशय में स्थापित होना. यह एक जटिल जैविक प्रक्रिया है, जिसे कृत्रिम रूप से दोहराना अभी मुश्किल है.
  • गर्भावस्था (जेस्टेशन): भ्रूण को 9 महीने तक पोषण देना. कृत्रिम गर्भाशय में यह संभव हो सकता है, लेकिन मां के हार्मोन और प्रतिरक्षा प्रणाली की भूमिका को दोहराना चुनौतीपूर्ण है.
  • जन्म (डिलीवरी): बच्चे का सुरक्षित जन्म. यह तकनीकी रूप से संभव हो सकता है, लेकिन इसके लिए सटीक नियंत्रण चाहिए.

वैज्ञानिकों का कहना है कि कृत्रिम गर्भाशय समय से पहले जन्मे बच्चों (प्रीमेच्योर बेबी) को बचाने में मदद कर सकता है, लेकिन गर्भधारण की पूरी प्रक्रिया को शुरू से अंत तक करना अभी दूर की बात है. यह तकनीक अगले 5-10 सालों में छोटे जानवरों (जैसे चूहों) के लिए संभव हो सकती है, लेकिन इंसानों के लिए इसे सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में दशकों लग सकते हैं.

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निकट भविष्य में क्या संभव है?

2026 में प्रोटोटाइप: डॉ. झांग का दावा है कि 2026 तक प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा. हालांकि, यह केवल एक प्रारंभिक मॉडल होगा, जिसका परीक्षण पहले जानवरों पर होगा. इंसानी बच्चे पैदा करने के लिए इसे और विकसित करना होगा.

बांझपन का समाधान: चीन में बांझपन की दर 2007 में 11.9% से बढ़कर 2020 में 18% हो गई है. यह रोबोट उन दंपतियों के लिए मददगार हो सकता है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकते.

सीमित उपयोग: शुरुआत में, यह तकनीक समय से पहले जन्मे बच्चों को बचाने या उन लोगों के लिए होगी जो गर्भावस्था की शारीरिक प्रक्रिया से बचना चाहते हैं. लेकिन पूर्ण गर्भावस्था को दोहराने में अभी कई वैज्ञानिक और नैतिक चुनौतियां हैं.

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रोबोट से बच्चे पैदा होने पर क्या होगा?

अगर यह तकनीक सफल हो जाती है, तो इसके कई सामाजिक, नैतिक और कानूनी प्रभाव होंगे...

सामाजिक बदलाव

  • महिलाओं की भूमिका: कुछ लोग मानते हैं कि यह तकनीक महिलाओं को गर्भावस्था के शारीरिक बोझ से मुक्त कर सकती है. लेकिन नारीवादी कार्यकर्ता, जैसे एंड्रिया ड्वॉर्किन ने चेतावनी दी थी कि यह तकनीक महिलाओं की भूमिका को कमजोर कर सकती है.
  • पारिवारिक संरचना: बच्चे बिना मां के जन्म लेंगे, जिससे माता-पिता और बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध पर सवाल उठ सकते हैं.
  • जनसंख्या समाधान: यह तकनीक जनसंख्या में कमी की समस्या को हल करने में मदद कर सकती है, खासकर उन देशों में जहां जन्म दर कम है.

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नैतिक सवाल

मां-बच्चे का संबंध: बच्चे का मां के साथ प्राकृतिक संबंध नहीं होगा, जो बच्चे के मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित कर सकता है.

अंडाणु और शुक्राणु का स्रोत: यह स्पष्ट नहीं है कि अंडाणु और शुक्राणु कहां से आएंगे. इससे अवैध व्यापार (ब्लैक मार्केट) का खतरा बढ़ सकता है.

बच्चों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव: जो बच्चे रोबोट से पैदा होंगे, उन्हें यह जानकर मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं कि उनका जन्म मां के गर्भ से नहीं हुआ.

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कानूनी चुनौतियां

  • नियम-कानून: चीन में अभी मानव भ्रूण को कृत्रिम गर्भाशय में दो हफ्तों से ज्यादा विकसित करना गैरकानूनी है. इस तकनीक के लिए नए कानून बनाने होंगे.
  • नैतिकता पर बहस: कुछ लोग इसे अप्राकृतिक और क्रूर मानते हैं, क्योंकि यह बच्चे को मां के साथ प्राकृतिक संबंध से वंचित करता है. 
  • स्वास्थ्य और सुरक्षा

मां के गर्भ में हार्मोन और प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रूण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन्हें कृत्रिम रूप से करना अभी असंभव है. अगर तकनीक में कोई गलती हुई, तो बच्चे के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है.

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क्या कहता है साइंस? 

वैज्ञानिक समुदाय इस तकनीक को लेकर उत्साहित लेकिन सतर्क है. विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम गर्भाशय समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है, लेकिन पूर्ण गर्भावस्था को दोहराना अभी बहुत जटिल है. मां के गर्भ में होने वाली जैविक प्रक्रियाएं, जैसे हार्मोन स्राव और प्रतिरक्षा प्रणाली का योगदान, कृत्रिम रूप से पूरी तरह कॉपी नहीं की जा सकतीं.

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2017 के बायोबैग प्रयोग ने दिखाया कि समय से पहले जन्मे मेमने को जीवित रखना संभव है, लेकिन इंसानी भ्रूण के लिए यह तकनीक अभी प्रारंभिक चरण में है. इसे इंसानों के लिए सुरक्षित बनाने में कम से कम 10-20 साल लग सकते हैं.

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