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रूस में जहां कल 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था, आज वहां फिर कांपी धरती

कुरिल द्वीपों के पास आज सुबह 6.5 तीव्रता का भूकंप आया, जो कल के 8.8 तीव्रता वाले भूकंप के बाद हुआ. यह क्षेत्र भूकंप और ज्वालामुखी का जोखिम वाला है. अभी नुकसान की खबर नहीं. आफ्टरशॉक्स की आशंका बनी हुई है.

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जहां कल 8.8 का भूकंप आया था वहीं आसपास आज फिर भूकंप आया. (Photo: X/@NCS_Earthquake)
जहां कल 8.8 का भूकंप आया था वहीं आसपास आज फिर भूकंप आया. (Photo: X/@NCS_Earthquake)

रूस में 31 जुलाई 2025 की सुबह 10:57 बजे भारतीय समय कुरिल द्वीपों के पूर्व में एक और भूकंप आया है. इसकी तीव्रता 6.5 मापी गई है. यह वही क्षेत्र है जहां कल, 30 जुलाई 2025 को 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया था. यह नया भूकंप 49.51 उत्तरी अक्षांश और 158.75 पूर्वी देशांतर पर केंद्रित था. इसकी गहराई महज 10 किलोमीटर रही. यह घटना एक बार फिर इस ज्वालामुखी क्षेत्र की संवेदनशीलता को सामने ला रही है. 

क्या हुआ और कहां हुआ?

यह भूकंप कुरिल द्वीपों के पूर्वी हिस्से में आया, जो रूस के सुदूर पूर्व में स्थित एक ज्वालामुखी द्वीपसमूह है. इस क्षेत्र को "रिंग ऑफ फायर" का हिस्सा माना जाता है, जहां भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियां आम हैं. कल का 8.8 तीव्रता का भूकंप कमचटका प्रायद्वीप के पास आया था, जिसने सुनामी की चेतावनियां दी थीं. जापान, हवाई, चिली जैसे कई देशों में तबाही मचाई थी. आज का 6.5 तीव्रता का भूकंप उसी क्षेत्र के करीब आया है, जो चिंता का कारण बन रहा है.

यह भी पढ़ें: 8.8 तीव्रता के भूकंप के झटके का मतलब हिरोशिमा जैसे 14300 परमाणु बमों का एक साथ फटना! इसलिए खौफ में रूस-जापान-US

भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर रही, जो इसे सतही माना जाता है. सतही भूकंप आमतौर पर ज्यादा महसूस होते हैं और नुकसान की आशंका बढ़ जाती है. हालांकि, अभी तक इस भूकंप से किसी बड़े नुकसान या सुनामी की खबर नहीं मिली है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में आफ्टरशॉक्स जारी रह सकते हैं.

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कल का 8.8 तीव्रता वाला भूकंप क्या था?

30 जुलाई 2025 को सुबह कमचटका प्रायद्वीप के पास आए 8.8 तीव्रता के भूकंप ने पूरे प्रशांत क्षेत्र में हलचल मचा दी थी. इस भूकंप ने सुनामी की लहरें पैदा कीं, जिन्होंने रूस के सेवरो-कुरिल्स्क में 3-5 मीटर ऊंची लहरें लाईं. जापान, हवाई और चिली जैसे देशों में भी अलर्ट जारी किए गए थे. लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. इस भूकंप के बाद क्लीचेव्स्कॉय ज्वालामुखी में भी विस्फोट हुआ, जो क्षेत्र की अस्थिरता को दर्शाता है.

 6.5 earthquake Kuril Islands

आज का 6.5 तीव्रता का भूकंप उसी भूगर्भीय अशांति का हिस्सा हो सकता है, क्योंकि बड़े भूकंप के बाद छोटे-बड़े आफ्टरशॉक्स आम हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह क्षेत्र "मेगाथ्रस्ट फॉल्ट" पर स्थित है, जहां प्रशांत प्लेट और नॉर्थ अमेरिकन प्लेट आपस में टकराती हैं, जिससे भूकंप की संभावना बनी रहती है.

6.5 तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक?

भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है. 6.5 तीव्रता का भूकंप मध्यम से मजबूत श्रेणी में आता है. इसका मतलब है कि यह भूकंप दूर-दूर तक महसूस हो सकता है. अगर आबादी वाला क्षेत्र पास हो, तो मामूली से मध्यम नुकसान हो सकता है, जैसे घरों में दरारें, सड़कों पर क्षति या बिजली-पानी की व्यवस्था बाधित होना. लेकिन इसकी गहराई 10 किलोमीटर होने और क्षेत्र के सुनसान होने की वजह से अभी तक बड़े नुकसान की खबर नहीं है.

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यह भी पढ़ें: 8.8 भूकंप अगर मैदानी इलाकों में आए तो क्या होगा इम्पैक्ट... कितनी होगी तबाही?

हालांकि, कल के 8.8 तीव्रता वाले भूकंप के बाद यह भूकंप चिंता बढ़ा रहा है. अगर यह आफ्टरशॉक है, तो और झटके आ सकते हैं. इनकी तीव्रता 7 या उससे कम हो सकती है. क्षेत्र में ज्वालामुखी गतिविधि भी नजर आ रही है, जो खतरे को और बढ़ा सकती है.

 6.5 earthquake Kuril Islands

सुनामी का खतरा?

कल के भूकंप ने प्रशांत महासागर में सुनामी की लहरें पैदा की थीं, जो कई देशों तक पहुंचीं. आज के 6.5 तीव्रता के भूकंप की गहराई और स्थिति को देखते हुए अभी तक सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की गई है. लेकिन विशेषज्ञ सतर्क हैं, क्योंकि सतही भूकंप कभी-कभी समुद्र में उठाव पैदा कर सकते हैं. स्थानीय प्रशासन और वैज्ञानिकों की नजर इस बात पर है कि क्या यह भूकंप सुनामी का कारण बन सकता है या नहीं.

इस क्षेत्र की खासियत

कुरिल द्वीप और कमचटका प्रायद्वीप "रिंग ऑफ फायर" का हिस्सा हैं, जो पृथ्वी के सबसे भूकंपीय और ज्वालामुखी क्षेत्रों में से एक है. यहां हर साल सैकड़ों छोटे-बड़े भूकंप आते हैं. कभी-कभी बड़े भूकंप सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट को ट्रिगर करते हैं. 1952 में इसी क्षेत्र में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जो इतिहास का सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक था.

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रूस और जापान के बीच इस क्षेत्र पर विवाद भी है, जिसकी वजह से यहां बुनियादी ढांचा और राहत कार्यों में देरी हो सकती है. लेकिन स्थानीय लोग इन प्राकृतिक आपदाओं के आदी हैं और ऊंची जगहों पर शरण लेने में माहिर हैं.

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