अच्छे दोस्तों का होना किसी खजाने से कम नहीं होता, लेकिन दोस्त ही अगर आपके लिए विष बन जाएं तो उनसे बड़ा दुश्मन कोई नहीं होता. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र यानी चाणक्य नीति में श्लोक के माध्यम से ऐसे दोस्तों के बारे में बताया है जो आपके लिए विष के समान होते हैं. आइए जानते हैं उन मित्रों के बारे में...
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्।।
चाणक्य कहते हैं कि आपके सामने मीठा बोलकर पीठ पीछे आपके खिलाफ साजिश रचने वाले मित्र विष भरे घड़े के ऊपर रखे दूध के समान होते हैं. जिस प्रकार विष से भरे घड़े के ऊपर अगर थोड़ा सा दूध डाल दिया जाए तब भी उसे विष का घड़ा ही कहते हैं. उसी प्रकार सामने से आपके बारे में अच्छी बातें करने वाले और पीछे आपका काम बिगाड़ने वाले मित्र भी विष के समान होते हैं. ऐसे मित्रों का तुरंत त्याग कर देना चाहिए.
न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत्॥
चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि दुष्ट मित्र पर भूलकर भी विश्वास नहीं करना चाहिए. ऐसे मित्र मौका मिलने पर आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं. चाणक्य कहते हैं कि मित्र कितना भी प्रिय हो लेकिन उसे अपनी गुप्त बातों को नहीं बताना चाहिए. क्योंकि नाराजगी के समय में वो आपकी राज की बातों को आपके दुश्मन के सामने व्यक्त कर सकता है और इससे आप मुसीबत में फंस सकते हैं.
चाणक्य नीति: इन 6 चीजों पर नहीं करना चाहिए विश्वास
चाणक्य कहते हैं कि छली स्वभाव का मित्र आपके भेदों को जानकर धमकी दे सकता है और आपको गलत काम करने के लिए विवश कर सकता है. चाणक्य के मुताबिक जिन्हें आप अच्छे मित्रों की श्रेणी में रखते हैं उनसे भी अपनी गुप्त बातों को नहीं बताना चाहिए.