scorecardresearch
 
Advertisement
धर्म

दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?

दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?
  • 1/7
हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग है शयन. शयन अर्थात सोना, नींद लेना. मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी शयन करते हैं. शयन किस तरह हमारे स्वास्थ्य और चेतना के लिए लाभदायी हो सकता है, इसके लिए शास्त्रों में निर्देश दिए गए हैं. सोते समय हमारे पैर दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए यानी उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए. पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए. इन दिशाओं में सिर रखकर सोने से लंबी आयु प्राप्त होती है और स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है. इसके विपरीत उत्तर या पश्चिम दिशा में सिर रखकर सोने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है. शास्त्रों के अनुसार यह अपशकुन भी है. यहां जानिए शास्त्रों में बताई गई सोने से जुड़ी खास बातें और उनका वैज्ञानिक तर्क...
दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?
  • 2/7
नींद का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध है. यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके लिए भी कुछ नियम कायदे तय किए हैं. ताकि शयन की क्रिया का अधिक से अधिक लाभ हमें प्राप्त हो सके. संध्या के समय नहीं सोना, सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर न हों, जैसे अनेक निर्देश शास्त्रों में दिए गए हैं.
दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?
  • 3/7
किस दिशा में सिर रखें-
 
पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना विज्ञानसम्मत प्रक्रिया है जो अनेक बीमारियों को दूर रखती है. सौर जगत धु्रव पर आधारित है. ध्रुव के आकर्षण से दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रगतिशील विद्युत प्रवाह हमारे सिर में प्रवेश करता है और पैरों के रास्ते निकल जाता है.
 
ऐसा करने से भोजन आसानी से पच जाता है. सुबह-सवेरे जब हम उठते हैं तो मस्तिष्क विशुद्ध वैद्युत परमाणुओं से परिपूर्ण एवं स्वस्थ हो जाता है. इसीलिए सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर करना मना किया गया है.
Advertisement
दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?
  • 4/7
दक्षिण दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर- यह ऐसी पोजिशन है जिसमें शवों को रखा जाता है. इस दिशा में सोने की मनाही की गई है. जब आप उत्तर दिशा में सिर करके सोते हैं तो आपको बुरे सपने आते हैं और आपकी नींद बहुत बार टूटती है. पृथ्वी का उत्तर और सिर का उत्तर दोनों साथ में आए तो प्रतिकर्षण बल काम करता है. उत्तर में जैसे ही आप सिर रखते हैं, प्रतिकर्षण बल काम करने लगता है. इस धक्का देने वाले बल से आपके शरीर मे संकुचन आता है. शरीर मे अगर संकुचन आया तो रक्त का प्रवाह पूरी तरह से नियंत्रण के बाहर जाएगा. ब्लड प्रैशर बढ़ने से नींद आएगी ही नहीं. मन में हमेशा चंचलता रहेगी.
दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?
  • 5/7
पूर्व के बारे में पृथ्वी पर रिसर्च करने वाले सब वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्व न्यूट्रल है!  मतलब न तो वहाँ आकर्षण बल है, ज्यादा न प्रतिकर्षण बल. और अगर है भी तो दोनों एक दूसरे को बैलेंस किए हुए हैं, इस लिए पूर्व मे सिर करके सोएंगे तो आप भी नूट्रल रहेंगे. आसानी से नींद आएगी!
दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?
  • 6/7
बाईं करवट सोना
 
बाईं करवट सोने की धारणा के पीछे भी वैज्ञानिक आधार है. दरअसल यह प्रक्रिया स्वर विज्ञान पर आधारित है. हमारी नाक से जो श्वास बाहर निकलती और अन्दर आती है उसे स्वर कहते हैं. नाक के बाएं छिद्र से श्वास लेने व छोड़ने की क्रिया को चन्द्र स्वर कहते हैं. इसी तरह दाहिनी ओर का स्वर सूर्य स्वर कहलाता है. सूर्य स्वर हमारे शरीर में उष्मा उत्पन्न करता है. इससे भी भोजन पचने में मदद मिलती है. इसीलिए हमारे शास्त्रों में बाईं करवट सोने को कहा गया है.

दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?
  • 7/7
रात्रि को भोजन करने के तत्काल बाद शयन नहीं करना चाहिए. शयन से पहले सद्ग्रंथों का अध्ययन और भगवान का स्मरण करना चाहिए. सोने से पहले आप अगर अगले दिन के कामों की योजना बना लें तो बहुत अच्छा रहेगा. लघुशंका आदि से भी निवृत्त हो जाना चाहिए. हाथ-पैर धोकर उन्हें अच्छी तरह पोंछ लें फिर पूर्व या दक्षिण की ओर सिर करके बाईं करवट लेटकर सोना चाहिए.
 
Advertisement
Advertisement