जब 16 दिन चले शास्त्रार्थ में हुए विजय-
एक बार शंकराचार्य जी यात्रा करते हुए बिहार के मिथिला प्रदेश पहुंचे. यहां करीब 16 दिनों तक उन्होंने मंडन मिश्र के साथ शास्त्रार्थ किया. इस शास्त्रार्थ में निर्णायक मंडन मिश्र की धर्मपत्नी भारती को बनाया गया था. कहा जाता है कि इस शास्त्रार्थ की निर्णय घड़ी जैसे ही पास आई तो अचानक देवी भारती को किसी काम से बाहर जाना पड़ा.
लेकिन जाते-जाते उन्होंने दोनों विद्वानों को एक-एक फूल की माला पहनने के लिए दी. उन्होंने कहा, 'यह दोनों मालाएं मेरी अनुपस्थिति में आपकी हार और जीत का फैसला करेंगी'.थोड़ी देर बाद जब देवी भारती वापस लौटीं तो उन्होंने अपना निर्णय सुनाते हुए शंकराचार्यजी को विजय घोषित कर दिया. देवी भारती के इस निर्णय से सभी चकित लोगों ने उनसे ऐसा करने के पीछे का कारण पूछा.