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Pitru Paksha 2025: आटा गूंथने के बाद महिलाएं क्यों लगाती हैं उंगलियों के निशान, जानें पितरों से कनेक्शन

Pitru Paksha 2025: आटा गूंथने के बाद उसपर उंगलियों के निशान लगाने की परंपरा पितरों और पिंडदान से जुड़ी है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, आटे की गोल लोई पिंड जैसी प्रतीत होती है, जो पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोजन का प्रतीक है. इसलिए महिलाएं उस पर उंगलियों के निशान छाप देती हैं.

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आटे पर महिलाओं की उंगलियों के निशान के जानें रहस्य (Photo: Pixabay)
आटे पर महिलाओं की उंगलियों के निशान के जानें रहस्य (Photo: Pixabay)

Pitru Paksha 2025: शास्त्रों में हमारे रोजमर्रा से जुड़े कई ऐसे कार्यों का जिक्र किया गया है, जिनका हमारे ऊपर अच्छा और बुरा असर दोनों तरह से पड़ता है. ठीक उसी तरह शास्त्रों में रसोई घर से जुड़े कार्यों के बारे में भी बताया गया है और उनमें से एक कार्य है आटा गूंथना. आपने अक्सर देखा होगा कि महिलाएं आटा गूंथते समय कई नियमों का पालन करती हैं.

आपने अक्सर देखा होगा कि कई घरों में महिलाएं जब आटा गूंथ लेती हैं, तो उसके बाद वे उस पर उंगलियों के हल्के-हल्के निशान बना देती हैं. लोगों को यह देखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन वास्तव में इसके पीछे धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है. तो चलिए जानते हैं कि क्यों महिलाएं आटा गूंथने के बाद उस पर उंगलियों के निशान बनाती हैं.

क्या आटे पर उंगलियों के निशान का है पूर्वजों से संबंध?

आटे पर उंगलियों के निशान बनाने की परंपरा पितरों और पिंडदान से जुड़ी हुई है. माना जाता है कि अगर आटे को बिल्कुल गोल और चिकना छोड़ दिया जाए तो वह पिंड जैसा आकार ले लेता है. पिंड का संबंध पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोजन से है. हिंदू धर्म में पितरों का तर्पण और पिंडदान, उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है. 

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पितृपक्ष के समय जब पूर्वजों के लिए भोजन अर्पित किया जाता है, तो उनके लिए छोटी छोटी गोलियां बनाई जाती हैं. इस वजह से इन पिंडों को 'पितरों का आहार' कहा जाता है. चूंकि पिंड का आकार बिल्कुल गोल होता है, इसलिए आटा गूंथते वक्त उसके आकार को गोल नहीं छोड़ा जाता है.

आटे पर उंगलियों के निशान क्यों लगाए जाते हैं?

पितरों को अर्पित किए जाने वाले पिंडों का आकार गोल होता है. इसी वजह से जब महिलाएं आटा गूंथ लेती हैं, तो वे उस पर उंगलियों के निशान बना देती हैं. ताकि, पितरों को अर्पित किए जाने वाले गोल पिंडों से उसका आकार अलग हो जाए. जिसे पितरों का आहार यानी भोजन कहा जाता है. कुछ घरों में तो महिलाएं आटे की लोई में से थोड़ा सा आटा तोड़कर अलग भी कर देती हैं.

पितृ पक्ष में पिंडदान का महत्व

पिंडदान एक पवित्र अनुष्ठान है, जिसमें पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया जाता है. इसमें विशेष पिंड अर्पित किए जाते हैं, जो चावल, जौ का आटा, सूखा दूध, तिल और शहद से बनाए जाते हैं. यह अनुष्ठान पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाने के लिए किया जाता है. पिंडदान के माध्यम से जीवित व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति अपना सम्मान और आभार प्रकट करता है.

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