Sarva Pitru Amavasya 2025 Daan: 21 सितंबर यानी कल सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी. सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है. इसे महालया अमावस्या भी कहते हैं. माना जाता है कि ये दिन पितरों की विदाई का दिन होता है.
इस दिन भूले-बिसरे पितरों के लिए भी श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. इस दिन ब्राह्मण भोज और दान-पुण्य कराने का विशेष महत्व है. इस खास दिन कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी माना गया है. आइये जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
सर्वपितृ अमावस्या की तिथि (Sarwa Pitru Amavasya 2025 Tithi)
इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या की तिथि 21 सितंबर की रात 12 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन 22 सितंबर की रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार महालया अमावस्या अथवा सर्वपितृ अमावस्या का पर्व 21 सितंबर यानी कल ही मनाई जाएगी. इस दिन पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के साथ चतुष्पद करण का भी विशेष संयोग बन रहा है.
सर्व पितृ अमावस्या पर क्या करना चाहिए? (Sarwa Pitru Amavasya 2025 Dos)
सर्व पितृ अमावस्या भूले -बिसरे पितरों के श्राद्ध और तर्पण का दिन है. इस दिन ब्राह्मण-भोजन कराना, पंचबली श्राद्ध यानी कौआ, कुत्ते, गाय और चींटी को भोजन कराना चहिए.
सर्वपितृ अमावस्या की शाम भोजन, कुछ मीठा, पीपल के पेड़ पर चढ़ाया जाना चाहिए. पितरों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनसे कृपा करने की प्रार्थना करें और उन्हें विदा करें. इस दिन गरीबों को दान करें. गीता के सप्तम अध्याय का 7 बार पाठ करके उसका फल अपने पितरों को समर्पित करें और ईश्वर से उनकी मुक्ति की प्रार्थना करें.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन लहसुन-प्याज, मांस-मदिरा का सेवन करने से बचें, बुजुर्गों का अपमान न करें,न ही झूठ बोलें या मन में बुरे विचार लाएं. इस दिन श्मशान घाट या सुनसान जगहों पर जाने से परहेज करें .इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यंत शुभ माना जाता है.