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Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर कैसे कराएं खीरे से कान्हा का जन्म और पंचामृत स्नान? जानें शुभ मुहूर्त

Janmashtami 2025: इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को देर रात (16-17 की दरमियानी रात) 12.04 बजे से रात 12.45 तक रहेगा. इस दौरान कान्हा की पूजा करने के लिए आपको करीब 43 मिनट का समय मिलेगा. इसी शुभ मुहूर्त में आपको कान्हा का जन्म कराने के बाद उनका पंचामृत स्नान कराना होगा.

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कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूजन मुहूर्त (Photo: AI Generated)
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूजन मुहूर्त (Photo: AI Generated)

Janmashtami 2025: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार 16 अगस्त, शनिवार यानी कल मनाया जाएगा. यह भगवान कृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव है. इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और भगवान के बाल स्वरूप, लड्डू गोपाल की विशेष पूजा करते हैं. माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो कृष्ण की अष्टमी तिथि पर मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसलिए इसी समय बाल गोपाल का जन्म कराया जाता है और फिर पंचामृत से स्नान कराया जाता है. आइए जानते हैं कि श्रीकृष्म जन्मोत्सव की खास रस्में और स्नान की विधि स्टेप-बाय-स्टेप.

खीरे से कराएं बाल गोपाल का जन्म (Shri Krishna Janmashtami 2025 Kaise karaein Kanha ke janm)

जन्माष्टमी पर खीरे के डंठल काटना भगवान के जन्म का प्रतीक माना जाता है. जिस प्रकार बच्चे को गर्भनाल काटकर जन्म दिया जाता है, उसी प्रकार खीरे का डंठल काटने को “नाल छेदन” कहा जाता है. शुभ मुहूर्त से पहले डंठल वाले ताजा खीरे को पूजन स्थल पर रख दें. फिर शुभ मुहूर्त में सिक्के से खीरे का डंठल काटें और शंख बजाकर बाल गोपाल के आगमन की खुशी मनाएं. भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाएं. इसके बाद विधिवत बांके बिहारी की पूजा करें.

इस शुभ मुहूर्त में कराएं कान्हा का जन्म (Shri Krishna Janmashtami 2025 Shubh muhurt)
इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को देर रात (16-17 की दरमियानी रात) 12.04 बजे से रात 12.45 तक रहेगा. इस दौरान कान्हा की पूजा करने के लिए आपको करीब 43 मिनट का समय मिलेगा. इसी शुभ मुहूर्त में आपको कान्हा का जन्म कराने के बाद उनका पंचामृत स्नान कराना होगा.

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जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल का पंचामृत स्नान (Shri Krishna Janmashtami 2025 Panchamrit snan vidhi)

स्टेप 1: बाल गोपाल की मालिश

सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण की हल्के हाथों से उनकी नरम मालिश करें. मालिश के बाद उन्हें साफ और शुद्ध पानी से धीरे-धीरे स्नान करा लें.

स्टेप 2: चंदन लेप का अभिषेक

इसके बाद चंदन पाउडर में थोड़ा सा पानी मिलाकर एक सुगंधित लेप तैयार करें. इस लेप को भगवान के पूरे शरीर पर हल्के-हल्के लगाएं. यह चरण भगवान को शीतलता और सौंदर्य प्रदान करने के लिए किया जाता है.

स्टेप 3: स्नान की तैयारी

अब दो स्वच्छ बर्तन लें, जिसमें से एक में भगवान को बैठाने की व्यवस्था करें और दूसरे में स्नान का जल भरें. स्नान के जल में पवित्र गंगाजल और तुलसी दल डालें. मंत्र जाप करते हुए इस पवित्र जल से भगवान का स्नान कराना शुरू करें.

स्टेप 4: पंचामृत स्नान

अब क्रम से भगवान का पंचामृत स्नान कराएं. सबसे पहले कच्चे दूध से स्नान कराएं, फिर दही, उसके बाद शुद्ध शहद, फिर चीनी और अंत में गंगाजल से स्नान संपन्न करें.

स्टेप 5: श्रृंगार और पूजन

स्नान के बाद बाल गोपाल को गुलाब के फूल अर्पित करें. उन्हें सुंदर, स्वच्छ और आकर्षक वस्त्र पहनाएं. सिर पर मोरपंख वाली पगड़ी सजाएं और हाथ में बांसुरी दें. इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण को उनके बाल स्वरूप में सजाकर पूजन पूर्ण करें और आरती करें.

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स्टेप 6: लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं

श्रृंगार होने के बाद लड्डू गोपाल को स्नेहपूर्वक झूले पर विराजमान करें. झूले को फूलों से सजाएं. साथ ही भजन-कीर्तन के साथ भगवान को धीरे-धीरे झुलाएं.

स्नान के समय इन गलतियों से बचें

स्नान के लिए नए और विशेष बर्तन का प्रयोग करें, जो केवल भगवान के स्नान हेतु रखा हो. शंख से जल अर्पण करें. भगवान की प्रतिमा को जमीन पर न रखें. स्नान का जल नाली में न बहाएं. इसे स्वयं ग्रहण करें, घर में छिड़कें या तुलसी के गमले में डालें.
 

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