दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है. इसे दिवाली का अहम हिस्सा माना जाता है. इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है. ऐसा करने से मृत्यु का भय कम होता है और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है. इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन यम दीपक जलाने का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन यम दीपक जलाने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.
यम दीपक जलाने के नियम
नरक चतुर्दशी के दिन यम दीपक जलाते समय दिशा का खास ध्यान रखना जरूरी होता है. इसके अलावा दीपक का चुनाव भी खास तरीके से करना चाहिए. गेहूं के आंटे का दीपक या मिट्टी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है, और यह चौमुखी होना चाहिए. इसके अलावा दिशा का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है. यम दीपक हमेशा दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है. दीपक में सरसों का तेल ही डालें और चार बत्तियां लगाएं. यह चार बत्तियां जीवन के चार दिशाओं में प्रकाश फैलाने का प्रतीक हैं. दीपक जलाने के बाद उसे घर के सभी कोनों में घुमाएं, ताकि हर स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा पहुंचे.
अंत में दीपक को घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रख दें. माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बाहर ही रह जाती है.
कब है नरक चतुर्दशी ?
इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इससे ठीक एक दिन पहले यानी 19 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी. नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है. इस साल चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 19 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट पर होगी और इसका समापन 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगा.