Hanuman Chatti Temple: 30 अप्रैल 2025 को गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा की शुरुआत हो गई थी. इसी कड़ी में 2 मई को केदारनाथ और फिर 4 मई को बद्रीनाथ के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. अब भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा बद्रीनाथ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. बद्रीनाथ धाम के पास स्थित हनुमान चट्टी मंदिर भी काफी लोकप्रिय है. इस मंदिर से जुड़ा महाभारत का एक प्रसंग भी है. दरअसल, भीम को अपनी ताकत पर बहुत घमंड हो गया था. तब हनुमान जी ने भीम की ऐसी परीक्षा ली कि उनका घमंड चकनाचूर हो गया. उत्तराखंड में बद्रीनाथ के पास हनुमान चट्टी नाम का एक मंदिर है. कहते हैं कि ये वही जगह है, जहां हनुमान ने भीम का घमंड तोड़ा था.
हनुमान चट्टी बद्रीनाथ मंदिर से करीब 12 किलोमीटर दूर है और देहरादून एयरपोर्ट यहां से करीब 315 किमी दूर है. शीत ऋतु में बद्रीनाथ मंदिर और हनुमान चट्टी मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जो लोग बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने जाते हैं, वो सबसे पहले हनुमान चट्टी के दर्शन जरूर करते हैं.
हनुमान जी ने कैसे तोड़ा था भीम का घमंड?
जब पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ वनवास पर थे. उस समय में वो बद्रीनाथ धाम क्षेत्र में रह रहे थे. एक दिन द्रौपदी को गंगा नदी में ब्रह्मकमल बहता हुआ दिखा. तब उन्होंने भीम से ब्रह्मकमल फूल को लाने के लिए कहा. भीम ब्रह्मकमल का फूल लेने बद्रीवन चले गए. तब उन्हें रास्ते में एक वृद्ध वानर विश्राम करता हुआ दिखा. उसने अपनी पूंछ से भीम का रास्ता रोक रखा था.
भी वानर की पूंछ को लांघकर आगे नहीं बढ़ना चाहते थे, इसलिए उन्होंने वानर को रास्ते से पूंछ हटाने के लिए कहा. तब वानर ने कहा कि बुढ़ापे की वजह से मुझमे उठने की शक्ति नहीं है. इसलिए दया करके इस पूंछ को तुम ही हटा दो और चले जाओ.
यह सुनते ही भीम क्रोधित हो गए और रास्ते में लेटे वानर की पूंछ हटाने में जुट गए. भीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन वो पूंछ को हिला भी न सके. तब भीम को समझ आया कि ये कोई सामान्य वानर नहीं है. भीम ने वानर से अपने असली रूप में आने की प्रार्थना की, तब हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और भीम को अपने बल पर घमंड न करने की सीख दी.