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Chanakya Niti: इन तीन बातों में कभी न करें शर्म, वरना जीवन में हुए नुकसान की कभी नहीं होगी भरपाई

Chanakya Niti: कहते हैं कि शर्म औरतों का गहना होता है, लेकिन चाणक्य के मुताबिक औरत हो या मर्द , अगर गलत जगह पर शर्म करने लगे तो उसका खुद का नुकसान हो सकता है. जानते हैं वो तीन जगहें कौन सी हैं जहां पर भूल कर भी शर्म नहीं करनी चाहिए.

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चाणक्य नीति ( AI Generated)
चाणक्य नीति ( AI Generated)

जीवन में सफलता और सम्मान पाने के लिए आत्मविश्वास और व्यावहारिक बुद्धि बहुत जरूरी है. कई बार इंसान झिझक, शर्म या संकोच में आकर ऐसे मौके गंवा देता है, जो उसके जीवन को बेहतर बना सकते थे. आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में बताया है कि जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनमें कभी शर्म नहीं करनी चाहिए. चाणक्य के मुताबिक अगर व्यक्ति इन तीन बातों में झिझक दिखाता है, तो वह अपने ही तरक्की के रास्ते में रोड़ा अटका रहा होता है, आइए जानते हैं वे कौन सी तीन बातें हैं जिनमें चाणक्य के मुताबिक कभी शर्म नहीं करनी चाहिए.

धन कमाने में : आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन ही मनुष्य के जीवन का साधन है. सच्चाई, ईमानदारी और परिश्रम से धन को कमाने में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए. कई लोग समाज की सोच या दूसरों की राय से डरकर काम करने या नया अवसर अपनाने से हिचकते हैं. लेकिन चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति धन कमाने के अवसर को शर्म की वजह से छोड़ देता है, वह जीवनभर संघर्ष करता है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मेहनत और बुद्धिमानी से कमाया गया धन न केवल सुख देता है, बल्कि परिवार और समाज के लिए भी उपयोगी होता है. 


शिक्षा प्राप्त करने में: चाणक्य कहते हैं कि विद्या हर व्यक्ति का गहना है. शिक्षा पाने की कोई उम्र या सीमा नहीं होती. चाहे व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, सीखने की भावना हमेशा जिंदा रहनी चाहिए. जो व्यक्ति शिक्षा लेने में झिझकता है, वह अपने विकास को रोक देता है. इसलिए, ज्ञान अर्जित करने में कभी संकोच न करें. चाहे वह किसी छोटे व्यक्ति से हो या अनुभवी से, शिक्षा और ज्ञान हमेशा अर्जित करते रहें. चाणक्य के मुताबिक ज्ञान ही वह शक्ति है जो व्यक्ति को सम्मान, सफलता और सही निर्णय लेने की क्षमता देती है. 

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भोजन करने में: आचार्य चाणक्य के अनुसार, भूख एक प्राकृतिक जरूरत है. भोजन करना शरीर की ऊर्जा और जीवन का आधार है, लेकिन कई लोग दूसरों के सामने खाने में झिझक या शर्म महसूस करते हैं. चाणक्य कहते हैं जब पेट भूखा हो, तब झिझककर भूखे रहना बेवकूफी है, ये शरीर और मन, दोनों के लिए हानिकारक है. 
 

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