राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को दौसा जिले में बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, मैं और सचिन पायलट अलग कब थे? हम दोनों में खूब मोहब्बत है. ये तो मीडिया वाले हैं जो हमें अलग दिखाने की बातें करते हैं.
गहलोत यह बात दौसा में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में बोल रहे थे. बुध्वार को दौसा के भण्डाना में पूर्व केंद्रीय मंत्री और सचिन पायलट के पिता स्व. राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया.
'हम अलग कब थे...'
गहलोत यहां राजेश पायलट पॉलिटेक्निक कॉलेज में श्रद्धांजलि देने पहुंचे. गहलोत ने कहा कि मैं और सचिन पायलट अलग कब थे. हम दोनों में खूब मोहब्बत है. ये तो मीडिया वाले अलग होने की बातें करते हैं.
दरअसल, गहलोत और पायलट के रिश्तों में लंबे समय से खटास की खबरें सुर्खियों में रही हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के प्रचार में भी दोनों नेता एक साथ नहीं आए थे. हालांकि, बुधवार को माहौल कुछ अलग था. जिससे यह संकेत मिला कि रिश्तों की बर्फ अब शायद पिघलने लगी है.
गहलोत को आमंत्रित करने गए थे सचिन
इससे पहले 7 जून को खुद सचिन पायलट जयपुर में अशोक गहलोत को आमंत्रित करने के लिए उनके आवास पहुंचे थे. गहलोत ने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट किया था. इसमें वे सचिन पायलट से हाथ मिला रहे थे और मुलाकात कर रहे थे.
गहलोत ने लिखा था, AICC महासचिव सचिन पायलट ने आवास पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया. मैं और राजेश पायलट जी 1980 में पहली बार एक साथ ही लोकसभा पहुंचे और लगभग 18 साल तक साथ में सांसद रहे. उनके आकस्मिक निधन का दुख हमें आज भी बना हुआ है. उनके जाने से पार्टी को भी गहरा आघात लगा.
कब टकराव की खबरें आईं...
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच साल 2018 में राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही तीखे राजनीतिक विवाद देखने को मिले थे. मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर दोनों के बीच टकराव हुआ था और वे अक्सर एक-दूसरे की खुलकर निंदा करते थे. एक-दूसरे पर कटाक्ष करते थे और एक-दूसरे पर आरोप लगाते थे.
2023 में पायलट ने खुले तौर पर स्वीकार किया था कि वे नेतृत्व परिवर्तन चाहते हैं. गहलोत ने दावा किया था कि पायलट की बगावत के बाद वे अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे थे. गहलोत ने दावा किया था कि पायलट गुट के उन विधायकों (2020 में राजस्थान छोड़कर मानेसर चले गए थे) ने सरकार गिराने के लिए बीजेपी लीडरशिप से रिश्वत ली थी, जिससे पायलट सार्वजनिक रूप से नाराज हो गए थे.
पायलट ने 2023 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, मुझे कई नामों से बुलाया गया. कोरोना, देशद्रोही, निकम्मा. अपने ही नेताओं का अपमान किया जा रहा है. बीजेपी नेताओं की (गहलोत द्वारा) सराहना की जा रही है. मैं (गहलोत द्वारा) लगाए गए आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करता हूं. जो नेता 30-40 साल से सार्वजनिक जीवन में हैं. उन पर चंद रुपयों के लिए बिकने का आरोप लगाना बहुत गलत है.