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सीपी जोशी या सचिन पायलट, कौन होगा CM? जानिए तीन बड़े सवालों के जवाब

अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद ही राजस्थान में अगले सीएम को लेकर मंथन तेज हो गया था. विधायकों का एक गुट सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग करने लगा था. इस बीच गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की, जिसके बाद सीएम के लिए सीपी जोशी के नाम की चर्चा होने लगी.

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सीएम पद के खिलाफ सीपी जोशी बनाम सचिन पायलट हो गया है मुकाबला (फाइल फोटो)
सीएम पद के खिलाफ सीपी जोशी बनाम सचिन पायलट हो गया है मुकाबला (फाइल फोटो)

राजस्थान कांग्रेस में रविवार को उम्मीद से उलट ही घटना हो गई. यहां अशोक गहलोत के बाद प्रदेश का नया सीएम कौन होगा? इसको लेकर जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. बैठक शाम 7 बजे होनी थी लेकिन उससे पहले ही गहलोत गुट के करीब 82 विधायकों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसमें लिखा था कि वे स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं. इसे बिना देरी के स्वीकार किया जाए. इस पूरे घटनाक्रम के पीछे दो नामों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. एक सीपी जोशी और दूसरी सचिन पायलट. 

सीपी जोशी की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि किसी समय में अशोक गहलोत और सीपी जोशी के रिश्ते अच्छे नहीं थे लेकिन आज गहलोत ने ही उन्हें सीएम बनाने का प्रस्ताव सोनिया गांधी के सामने रखा है.वहीं सचिन पायलट की चर्चा इसलिए हो रही कि 82 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब लोग यह जानना चाहते हैं कि पायलट के साथ कितने विधायकों का समर्थन है. अब उनके सामने क्या विपकल्प हैं?  

ताजा घटनाक्रम में आलाकमान की तरफ से साफ कर दिया गया है कि अब विधायकों से कोई बात नहीं होगी. न तो उनकी शर्तें मानी जाएंगी. पहले खड़गे और माकन दिल्ली लौटने वाले थे लेकिन अब वे गहलोत से मिलेंगे इसके बाद 2 बजे की फ्लाइट से दिल्ली लौटेंगे. 

 

सवाल: कौन हैं सीपी जोशी? क्यों अशोक गहलोत इनके नाम की पैरवी कर रहे हैं?

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जवाब: राजस्थान के राजसमंद जिले के कुंवरिया में जन्मे सीपी जोशी ने मनोविज्ञान में डॉक्टरेट और कानून की डिग्री हासिल की है. वह जब एक लेक्चरर के रूप में काम करते थे तब राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया ने उन्हें खोजा और उन्हें अपने चुनाव अभियान की जिम्मेदारी सौंपी.

उस चुनाव में सुखाड़िया की जीत हुई. इसके बाद उन्होंने 1980 में कई दिग्गजों को नजरअंदाज करते हुए जोशी को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया. 29 साल की उम्र में जोशी पहली बार विधायक बने. 2008 में जोशी को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद वह राजस्थान सरकार में मंत्री रहे. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-2 सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए.

यह किसी से नहीं छुपा है कि जोशी और गहलोत संबंध कभी खराब भी हुआ करते थे. कहा जाता है कि 2008 में गहलोत ने जोशी के खिलाफ छुपकर प्रचार किया था, जिसके बाद वह नाथद्वारा सीट से एक वोट से चुनाव हार गए और मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे, लेकिन गांधी परिवार के खास दोनों नेताओं के बीच तब करीबी बढ़ी जब जून 2020 में जोशी ने गहलोत की सरकार बचाने में मदद की थी.

दरअसल उस समय पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19  बागी विधायकों ने मानेसर में डेरा डाल दिया था तब जोशी ने सभी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी कर गहलोत के हाथ से सत्ता छिनने से बचा ली थी.

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सवाल: राजस्थान में क्या है विधायकों का नंबर गेम? पायलट और गहलोत खेमे में कितने विधायक हैं ?

जवाब: पार्टी सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट के समर्थन में 28 विधायक हैं, जिनमें से पांच बसपा के हैं. बसपा के इन विधायकों का 2020 में कांग्रेस में विलय हो गया था और दो भारतीय ट्राइबल पार्टी से हैं.

बताया जा रहा है कि 80 से 85 विधायक अशोक गहलोत की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे उन 19 विधायकों के अलावा किसी को भी वोट देने के लिए तैयार हैं, जिन्होंने मानेसर में डेरा डाला था. जून 2020 में जब कथित तौर पर ऑपरेशन लोटस चल रहा था.

सवाल: अब पायलट के सामने क्या विकल्प हैं?

जवाब: सचिन पायलट पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही हैं और किसी भी भूमिका के लिए तैयार हैं. उनका एक ही एजेंडा है कि राज्य में कांग्रेस की दोबारा सरकार बने.

उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस और राजस्थान नहीं छोड़ रहे हैं. उन्होंने विभिन्न राज्यों में पार्टी के लिए प्रचार किया है, लेकिन राजस्थान में अपनी सक्रिय राजनीति करते रहेंगे. 

(रिपोर्ट: Jaykishan)

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