जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार रात को लगी भीषण आग ने 7 लोगों की जिंदगी लील ली. मृतकों के परिजनों की आपबीती झकझोर देने वाली है. एसएमएस में लोग देश के अलग-अलग हिस्सों- आगरा, जयपुर और भरतपुर से इलाज कराने पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल में लगी आग ने उनकी जान ले ली. प्रथम दृष्टया शॉर्ट सर्किट को आग का कारण बताया जा रहा है. वहीं, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रविवार रात करीब रात 11 बजकर 10 मिनट पर ट्रॉमा बिल्डिंग के सेकंड फ्लोर पर स्थित न्यूरो वार्ड के स्टोर से धुआं निकलना शुरू हुआ था. इस बारे में मरीजों ने स्टाफ को सूचना दी, लेकिन धुआं इतनी तेजी से फैला कि स्टाफ और मरीज भागने को मजबूर हो गए.
हादसे के वक्त ट्रॉमा सेंटर में थे 210 मरीज
ट्रॉमा सेंटर में हादसे के वक्त 210 मरीज भर्ती थे, जिनमें से चार आईसीयू में 40 मरीज थे. रात के समय प्रत्येक आईसीयू में केवल एक स्टाफ सदस्य होता है जो इस घटना में भाग गया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई. ट्रॉमा आईसीयू में 11 और सेमी-आईसीयू में 13 मरीज थे. आग तेजी से फैली और जहरीली गैसें निकलने लगीं, जिससे अधिकांश गंभीर और कोमा में पड़े मरीजों को बचाना मुश्किल हो गया. अस्पताल स्टाफ, नर्सिंग ऑफिसर और वार्ड बॉयज ने ट्रॉली पर मरीजों को उठाकर बाहर निकाला, लेकिन 6 मरीजों को सीपीआर के बावजूद बचाया नहीं जा सका. मृतकों में दो महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं.
मरीजों को छोड़कर भागा स्टाफ
मृतकों में आगरा से इलाज के लिए आईं 40 वर्षीय सर्वेश देवी शामिल हैं, जिनकी मौत धुएं से दम घुटने से हुई. जयपुर जिले के आंधी के रहने वाले शेर सिंह ने बताया कि आग लगने पर सब भाग गए तो उन्होंने अपनी मां को उठाकर बाहर लाया, लेकिन तब तक वह मर चुकी थीं. शेर सिंह सदमे में हैं.
एक्सीडेंट केस में भर्ती हुए मरीज की मौत
वहीं, सवाई माधोपुर के बौली निवासी दिगंबर वर्मा एक्सीडेंट केस में भर्ती थे, उनकी मौत भगदड़ में अस्पताल के बाहर हो गई, लेकिन अस्पताल प्रशासन इसे अग्निकांड से अलग बता रहा है. अन्य मृतक पिंटू (सीकर), दिलीप (आंधी, जयपुर), श्रीनाथ, रुकमिणी, खुदरा (सभी भरतपुर) और बहादुर (संगानेर, जयपुर) हैं.
सीएम ने दिए जांच के आदेश
ताजा जानकारी के अनुसार, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं. जांच के लिए एक समिति की घोषणा की गई है. समिति की अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान करेंगे.
आदेशों के अनुसार, ये समिति आग के कारणों, अस्पताल प्रबंधन की प्रतिक्रिया, ट्रॉमा सेंटर और एसएमएस अस्पताल में अग्निशमन व्यवस्था, आग लगने की स्थिति में मरीजों की सुरक्षा और निकासी, तथा भविष्य में ऐसी आग की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अस्पताल को सुरक्षित रखने के उपायों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
FSL टीम करेगी जांच
जयपुर पुलिस कमिश्नर बिजू जॉर्ज जोसेफ ने कहा कि एफएसएल टीम की जांच से आग का सटीक कारण पता चलेगा, लेकिन प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट संदिग्ध है. 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया गया है. बाकी मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया है.
गंभीर हैं चार मरीज
एसएमएस ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज अनुराग धाकड़ ने बताया कि आग ट्रॉमा आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से लगी जो तेजी से फैली गई. स्टाफ ने 24 मरीजों को बचाया, लेकिन 7 गंभीर मरीज बच नहीं सके. चार मरीज अभी भी गंभीर हैं.
पीड़ितों के परिजनों ने स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है. एक परिजन ने कहा कि चिंगारी दिखने पर डॉक्टरों को 4-5 बार बताया, लेकिन उन्होंने इसे सामान्य बताया. आग लगने पर स्टाफ भाग गया, फायर एक्सटिंग्विशर या पानी की व्यवस्था नहीं थी.