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नवजोत सिंह सिद्धू क्या BJP में ठौर तलाश रहे हैं? इशारे तो कुछ ऐसे ही हैं

पूर्व क्रिकेटर , राजनीतिज्ञ नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर अपने बगावती तेवरों के चलते चर्चा में हैं. उनकी गतिविधियां बताती हैं कि पंजाब कांग्रेस में उनका मन नहीं लग रहा है. सोशल मीडिया पर डाली गई उनकी पोस्ट बहुत कुछ कहती है.

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क्या नवजोत सि्ंह सिद्धू फिर घर बदलने वाले हैं?
क्या नवजोत सि्ंह सिद्धू फिर घर बदलने वाले हैं?

पंजाब में भी कांग्रेस के हालात कुछ ठीक नहीं है. पूर्व क्रिकेटर और कांगेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू जेल में अपनी सजा पूरी करके लौटने के बाद से लगातार बगावती मूड में दिख रहे हैं. जबकि उन्हें पार्टी की लोकसभा चुनाव वाली समिति में भी जगह दी गई है.इसके बावजूद सिद्धू लगातार कांग्रेस पार्टी की बैठकों से दूर रह रहे हैं. सोमवार को अमृतसर में होने वाली बैठक से भी वो नदारद रहे हैं. इसके पहले भी वो अपनी सेल्फ रैलियों के जरिए कांग्रेस में बगावती तेवर दिखा रहे थे. तमाम अटकलों के बीच सिद्धू ने आज एक्स हैंडल पर एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू को पोस्ट किया है. इन इंटरव्यू का लब्बो लुआब ये है कि बीजेपी को पानी पी-पीकर कोसने वाले सिद्धू बीजेपी पार्टी और नेताओं को लेकर सॉफ्ट दिख रहे हैं. बीजेपी पर डायरेक्ट हमले करने वाले, बिलो द बेल्ट प्रहार करने वाले सिद्धू बीजेपी नेताओं और पीएम मोदी के खिलाफ कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. तो क्या मान लिया जाए कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरह नवजोत सिद्धू भी बीजेपी में ठौर की तलाश में हैं? ऐसा कहने के पीछे कोई ठोस कारण तो नहीं है पर ये 4 कारण ठोस से कम भी नहीं हैं. 

बीजेपी के खिलाफ आग नहीं उगल रहे सिद्धू  

सिद्धू आजकल सोशल मीडिया पर जो कुछ लिख रहे हैं उनमें दार्शनिकता का भाव कुछ ज्यादा ही दिख रहा है. 28 तारीख को वो हिंदी में ट्वीट करते हैं कि 'ना मैं गिरा न मेरी उम्मीदों का कोई मीनार गिरा पर, मुझे गिराने की कोशिश में हर शख्‍स बार बार गिरा !!!' सोमवार 29 जनवरी को करीब 2 बजे उन्होंने एक टीवी चैनल का इंटरव्यू पोस्ट किया है इसे सुनने पर यही लगता है कि वो बीजेपी के खिलाफ कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. पत्रकार उनसे सवाल पूछता है कि क्या आपकी गिरफ्तारी के पीछे बीजेपी थी? सिद्धू उत्तर देते हुए डायरेक्ट बीजेपी को जिम्मेदार ठहराने से बचते हैं. बीजेपी के साथ उनका क्या एक्सपीरियंस रहा? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि उनका बीजेपी से कोई झगड़ा नहीं है. सिद्धू कहते हैं कि बीजेपी ने एलायंस चुना - बादल को चुना, मैंने पंजाब को चुना. कांग्रेस में आप अपना फ्यूचर क्या देख रहे हैं? इसके जवाब में सिद्धू कहते हैं कि मैं पंजाब का फ्यूचर देखता हूं.- मतलब कि उन्हें कांग्रेस में कोई भविष्य नहीं दिखता यह कहना चाह रहे हों.

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सिद्धू के कई करीबी जा चुके हैं बीजेपी में

पिछले महीने खबर आई कि पंजाब कांग्रेस नेता सिद्धू के करीबी और लुधियाना के आत्म नगर के कांग्रेस इंचार्ज कमलजीत सिंह कड़वल ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया है. कमलजीत सिंह कड़वल अपनी पूरी टीम के साथ बीजेपी में शामिल हुए हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखर ने उन्हें पार्टी जॉइन कराया. कांग्रेस में आपसी गुटबंदी की वजह से और पिछले साल बटाला एवं माझा के टकसाली कांग्रेसी और पंजाब कांग्रेस के 62 वर्षीय वरिष्ठ नेता अश्वनी सेखड़ी ने भी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में जॉइन कर लिया था. सेखड़ी भी नवजोत सिंह सिद्धू के बेहद करीब माने जाते हैं. विधानसभा चुनाव 2022 में सेखड़ी को बटाला से कांग्रेसी सीट दिलवाने वाले सिद्धू ही थे और सिद्धू ने सेखड़ी के पक्ष में दमदार रैलियां भी की थी. हालांकि 2022 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अमनशेर सिंह कलसी से वे हार गए थे.

बीजेपी को भी सिद्धू जैसा कोई कद्दावर नेता चाहिए पंजाब में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी पूरे देश की पार्टी बन चुकी है. पूर्वोत्तर पर फतह हो चुका है . दक्षिण में सिर्फ 2 राज्यों को छोड़ दिया जाए तो उत्तर में सिर्फ पंजाब ही ऐसा राज्य है जहां बीजेपी चाहकर कुछ भी नहीं कर पा रही है. जिस तरह पंजाब के मामलों में पीएम मोदी इंट्रेस्ट लेते हैं उससे यही लगता है कि पंजाब में बीजेपी को मजबूत करना उनके प्रमुख उद्दैश्यों में से एक है.

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पंजाब कांग्रेस के तमाम कद्दावर नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं पर धरातल पर बीजेपी कुछ नहीं कर पा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के पूर्व पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखर के बीजेपी जॉइन करने के बाद भी पार्टी राज्य में चौथे नंबर की ही पार्टी बनी हुई है. कैप्टन अमरिंदर की उम्र उनके सक्रिय होने में आड़े आती है. जाखर हिंदू होने के चलते जट सरदारों के बीच में बीजेपी को मजबूत नहीं कर पा रहे हैं. अकाली दल अभी तक एनडीए में शामिल नहीं हो सका है. सिद्धू के अनुसार उनके भारतीय जनता पार्टी छोड़ने का एक कारण अकाली दल के साथ बीजेपी का एलायंस भी था.अगर बीजेपी अकाली दल को साथ में नहीं लाती है तो नवजोत सिंह को भी  बीजेपी में आने का एक बहाना मिल जाएगा और बीजेपी को एक ऐसी शख्सियत मिल जाएगी जो पार्टी का चेहरा बन सके. 

आम आदमी पार्टी लेगी नहीं, कांग्रेस का भविष्य अंधकारमय है

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के चलते अब सिद्धू की एंट्री आम आदमी पार्टी में होनी मुश्किल है.एक मौका ऐसा भी था कि लगता था कि सिद्धू आम आदमी पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं. पर बात नहीं बन सकी. अब सिद्धू ने आम आदमी पार्टी और सीएम भगवंत मान के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोल लिया है कि वे पंजाब सरकार के विरोध के प्रतीक बन चुके हैं. ऐसी हालत में उनके लिए आम आदमी पार्टी में जगह नहीं बचती है. सिद्धू को यह भी पता है कि पंजाब कांग्रेस में जिस तरह का अंतर्कलह चल रहा है उसके चलते भविष्य में भी पंजाब और केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती नहीं दिख रही है. ऐसी दशा में अगर बीजेपी से बातचीत हो जाती है तो सिद्धू के लिए इससे बेहतर कुछ हो नहीं सकता है. 

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