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बिहार में पीएम मोदी की 'मां के अपमान' का भावनात्मक मुद्दा कांग्रेस-राजद पर कितना भारी पड़ेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बिहार राज्य आजीविका निधि से जुड़े एक कार्यक्रम के वर्चुअल उद्घाटन के दौरान महिलाओं को संबोधित करते हुए अपनी मां के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार को लेकर दुखी हो गए. उन्होंने बिहार की जनता से कांग्रेस और आरजेडी को आने वाले चुनावों में सबक सिखाने की अपील की है.

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प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने मंगलवार को बिहार राज्य आजीविका निधि से जुड़ी महिलाओं को संबोधित किया.
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने मंगलवार को बिहार राज्य आजीविका निधि से जुड़ी महिलाओं को संबोधित किया.

पिछले 2 हफ्तों से देश में राहुल गांधी की वोटर्स अधिकार यात्रा को लेकर को लेकर बहुत चर्चे थे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बिहार विधानसभा चुनावों की दिशा ही मोड़ दी है. मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस द्वारा अपनी स्वर्गीय मां हीराबेन मोदी के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों को एक शक्तिशाली भावनात्मक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का संकेत दे दिया है. मां की गाली के नैरेटिव को बिहार की सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए मातृ-सम्मान से जोड़कर मोदी ने मतदाताओं को प्रभावित करने की रणनीति अपनाई है. आइये देखते हैं कि मोदी का यह भावनात्मक दांव बिहार विधानसभा चुनावों में कितना  कारगर हो सकता है?

1-मोदी का नहले पे दहला

 दरअसल 27 अगस्त 2025 को दरभंगा के जाले में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान कांग्रेस के एक स्थानीय नेता मो. नौशाद ने कथित तौर पर मंच से मोदी और उनकी मां के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की. इस वायरल वीडियो को बीजेपी ने मां की गाली बताया था . बीजेपी का कहना था कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव  इस मंच पर मौजूद थे, पर इस टिप्पणी को रोकने की कोशिश नहीं की.

पर 2 सितंबर 2025 को बिहार राज्य आजीविका निधि से जुड़े एक कार्यक्रम के वर्चुअल उद्घाटन के दौरान मोदी ने इस मुद्दे को भावनात्मक रूप से उठाया. उन्होंने कहा, मां हमारे लिए संसार है, स्वाभिमान है. कांग्रेस और RJD ने बिहार की धरती पर मेरी मां को गालियां दीं. यह हर बिहारी मां, बहन, और बेटी का अपमान है. इसे छठ पूजा और नवरात्रि जैसे त्योहारों से जोड़कर, मोदी ने इसे छठी मैया का अपमान बताया. जाहिर है कि महिलाओं  के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी की बातों ने बहुत से लोगों को इमोशनल कर दिया. खुद मोदी का भी यह सब बोलते हुए गला भर आया.

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मोदी ने अपने भाषण में साधारण पृष्ठभूमि और मां के संघर्षों को रेखांकित किया, जो बिहार के ग्रामीण और निम्न-मध्यम वर्ग के मतदाताओं से जोड़ने के लिए काफी है. बीजेपी की कोशिश होगी कि इस मुद्दे को विपक्ष की संस्कारहीनता और जंगलराज से जोड़ा जाए.

2-नरेटिव वॉर में दिला सकता है बढत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी के लिए यह दांव नरेटिव सेट करने में कितना कारगर होगा, यह बिहार के मतदाता समीकरण, एनडीए की एकता, और विपक्ष की कमजोरियों पर निर्भर करता है. बिहार में मातृ-सम्मान गहरा सांस्कृतिक मूल्य है, खासकर छठ पूजा जैसे त्योहारों के संदर्भ में. मोदी ने कहा कि कांग्रेस और RJD ने मेरी मां को गाली दी, जो हर बिहारी मां का अपमान है. इसे छठी मैया से जोड़कर उन्होंने ग्रामीण और महिला मतदाताओं को लक्षित किया. सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा दिख रहा है. लोग इसे बिहार की संस्कृति का अपमान बता रहे हैं. यह नरेटिव OBC, EBC, और दलित समुदायों, जो एनडीए के वोट बैंक हैं, में सहानुभूति जगा सकता है.  कांग्रेस की रक्षात्मक प्रतिक्रिया जैसे सुप्रिया श्रीनेत का कहना कि वीडियो नहीं देखा है या तेजस्वी की चुप्पी ने बीजेपी को नरेटिव सेट करने में बढ़त दे सकती है. 

3-एनडीए में एकजुटता की राह दिखाएगा

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मोदी का यह दांव न केवल मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश है, बल्कि एनडीए के सहयोगी दलों जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) , और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को एकजुट करने का भी प्रयास है.  पिछले दिनों कई बार देखा गया कि एनडीए के सहयोगी दल आपस में सिर फुटौव्वल के लिए तैयार थे.

चिराग पासवान ,  जेडीयू और हम के बीच खींचतान दिख रही थी. अभी सीटों बंटवारे को लेकर भी ठन सकती है. पर इन सब मुद्दों पर मोदी की मां को गाली भारी पड़ गई है. यह नरेटिव JDU को बीजेपी के साथ मजबूती से जोड़ता है.  चिराग ने इसे बिहार की अस्मिता पर हमला बताया, जो पासवान और EBC समुदायों को प्रभावित करता है. उनकी युवा अपील और मोदी के साथ नजदीकी ने इस नरेटिव को EBC और दलित वोटरों तक पहुंचाया. चिराग की सक्रियता, जैसे विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेना ने LJP को एनडीए के भीतर मजबूत किया. जीतन राम मांझी ने इसे महागठबंधन की नैतिक हार करार दिया. जिससे दलित (मुसहर) समुदाय में बीजेपी का समर्थन बढ़ेगा. 

4-महिलाओं का वोट

मोदी का यह दांव बिहार की सांस्कृतिक संवेदनशीलता विशेष रूप से मातृ-सम्मान से जुड़ा है . जाहिर है कि बीजेपी की कोशिश है कि किसी भी तरह महिला मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके.यह कोई गोपनीय तथ्य नहीं है कि बिहार में महिला मतदाताओं की भागीदारी हाल के वर्षों में बढ़ी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में 59.7% महिलाओं ने मतदान किया, जो पुरुषों (57.5%) से अधिक था. यही कारण है कि सभी दलों का मुख्य फोकस महिला मतदाताओं पर ही है.

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बिहार में मातृ-सम्मान गहरा सांस्कृतिक मूल्य है, खासकर छठ पूजा जैसे त्योहारों के संदर्भ में. बीजेपी और एनडीए ने इस दांव को महिला वोटरों तक पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं. बीजेपी महिला मोर्चा ने बिहार और झारखंड में विरोध मार्च निकाले, इसे नारी सम्मान से जोड़ा. नीतीश कुमार की जीविका दीदी योजना, जो 1.5 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ती है को मोदी ने इस नरेटिव के साथ जोड़ा. उन्होंने कहा, जीविका दीदियां बिहार की शक्ति हैं, और मां का अपमान उनकी ताकत को चुनौती देता है.

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