मध्य प्रदेश में आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ब्राह्मण लड़कियों को लेकर दिए बयान को लेकर विवाद में फंस गए हैं. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि वर्मा के बयान से सामाजिक समरसता को ठेस पहुंची और आपसी वैमनस्यता बढ़ी. यह बयान अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम का उल्लंघन माना गया है.
7 दिन में जवाब देने का आदेश
आईएएस वर्मा को नोटिस में 7 दिनों के अंदर अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है. सरकार ने स्पष्ट किया कि उचित कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित है. यह मामला सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जा रहा है और अधिकारी का जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी.
पहले भी विवादों में रह चुके हैं IAS
मध्य प्रदेश में अजाक्स के नवनियुक्त आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा अपने हालिया बयान के चलते विवादों में फिर से घिर गए हैं. उनका नाम पहले भी कई गंभीर मामलों में चर्चा में रहा है और नया विवाद उनके पुराने विवादों को एक बार फिर से सार्वजनिक ध्यान में ला रहा है.
संतोष वर्मा 2021 में राज्य सेवा से प्रमोशन पाकर आईएएस बने थे
संतोष वर्मा 2021 में राज्य सेवा से प्रमोशन पाकर आईएएस बने थे. प्रमोशन के समय उनके खिलाफ इंदौर कोर्ट में दो फर्जी दस्तावेज पेश करने का आरोप लगा. एक दस्तावेज में उन्होंने दावा किया कि उन्हें केस में बरी कर दिया गया है, जबकि दूसरे दस्तावेज में यह दिखाया गया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो चुका है. यह दस्तावेज उन्होंने जिस न्यायाधीश के नाम से पेश किया, उसी न्यायाधीश ने जालसाजी की शिकायत एमजी रोड थाने में दर्ज कराई थी.
इस मामले में पुलिस ने 2021 में वर्मा को गिरफ्तार किया था. केस एमजी रोड थाने में दर्ज किया गया और इसकी जांच एसीपी ने की थी. अब इस मामले में चालान कोर्ट में पेश किया जा चुका है और सुनवाई प्रक्रिया जारी है.
यह पहला विवाद नहीं है जिसमें आईएएस संतोष वर्मा का नाम आया है. 2016 में भी इंदौर के लसूड़िया थाने में उनके खिलाफ एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी. वह मामला भी काफी समय तक सुर्खियों में रहा था. इस तरह, वर्मा की विवादों से जुड़ी कहानी लगातार जारी है और उनके करियर पर इसका असर देखा जा रहा है.