दो साल से चले आ रहे जिस विवाद को समाज, पुलिस और कोर्ट भी नहीं सुलझा पाए थे, उसे 'समझौते वाले हनुमान बाबा' मंदिर के भीतर चंद मिनटों में समाप्त करवा दिया गया. रंजिश खत्म होते ही दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के गले लगकर माफी मांगी और पुलिस की मौजूदगी में मिलकर खीर और दाल टिक्कड़ का भंडारा कराया. दरअसल, यह विवाद जमीन, प्लॉट, मकान या पैसे का नहीं था. सिर्फ अहम का था.
मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर स्थित हस्तिनापुर थाना इलाके का छोंदी गांव गुर्जर बाहुल्य है. यहां के रहने वाले रामलखन सिंह गुर्जर उर्फ पटवारी और शिवराज सिंह गुर्जर के गुट के बीच आठ साल पहले खेत की मेड़ पर चारा काटने को लेकर मारपीट हुई थी. दोनों तरफ और से लाठी, डंडे और बंदूकें तन चुकी हैं. 8 साल में दोनों गुट 15 से 20 बार आमने-सामने आ चुके थे. कई बार हुए खूनी संघर्ष में अब तक 20 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. दोनों तरफ से एक-दूसरे पर 3-3 FIR दर्ज दर्ज हैं.
थम नहीं रहा था तनातनी और विवाद
विवाद को रोकने के लिए 14 बार प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी दोनों पक्षों पर की जा चुकी है, लेकिन विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. बीते बुधवार को एक बार फिर दोनों गुट के लोग आमने-सामने आए और तनातनी हो गई थी.
इस दुश्मनी को खत्म करने के लिए पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया और 'समझौते वाले हनुमान जी' के सामने बैठाया और पुलिस ने समझाया, पहले तो दोनों पक्षों में गहमागहमी हुई, लेकिन कुछ देर बाद दिल मिल गए.
बन गई बात
उनको समझ आया कि इस संघर्ष में उन्होंने पिछले आठ साल में क्या-क्या खोया है? हनुमान जी को साक्षी मानकर दोनों पक्षों ने संकल्प लिया कि अब कभी नहीं लड़ेंगे और अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अच्छे संस्कार देंगे.
विवाद सुलझाकर साथ किया भोजन
इसके बाद दोनों पक्ष के लोगों ने एक-दूसरे के गले लगकर माफी मांगी और मिलकर खीर- दाल टिक्कड़ का भंडारा कराया. जहां भंडारे में हस्तिनापुर थाने का पुलिस बल मौजूद रहा. पुरानी दुश्मनी खत्म करने में SDOP संतोष पटेल की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही.