मध्य प्रदेश के धर्म नगरी उज्जैन में एक अनोखा मां सरस्वती का मंदिर है जिसमें विराजित विद्या की देवी को नील सरस्वती के नाम से जाना जाता है. दरअसल माता का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि बसंत पंचमी के दिन यहां पर माता का नीली स्याही से अभिषेक किया जाता है.
मान्यता है कि ऐसा करने से ज्ञान की देवी मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और विद्यार्थियों को बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं. इसी मान्यता के चलते बसंत पंचमी के दिन बड़ी संख्या में उज्जैन सहित दूरदराज से विद्यार्थी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने की कामना को लेकर यहां आते हैं और माता का स्याही से अभिषेक करते हैं.
यह अनूठा मंदिर उज्जैन शहर के सिंहपुरी में बिजासन पीठ के सामने स्थित है. इसे स्याही माता के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक विद्या आरंभ संस्कार को बसंत पंचमी पर करने का विधान है. वहीं मां सरस्वती को नीलवर्ण भी कहा गया है इसलिए इस दिन माता को नीलकमल और स्याही चढ़ाकर विद्या का वरदान मांगा जाता है.
पुरातत्वविदों के अनुसार मां सरस्वती की यह मूर्ति करीब 1 हजार साल प्राचीन है. इसी के चलते बसंत पंचमी के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने और अच्छे अंकों से पास होने की कामना को लेकर आते हैं.
कब मनाया जाता है बसंती पंचमी
माघ मास की शुक्ल पक्ष की पचंमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार बसंत पंचमी आज यानी 26 जनवरी 2023 को है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक,बसंत पचंमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. मां सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी कहा जाता है.
बसंत पचंमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र धारण कर सरस्वती मां की पूजा करते हैं. इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है.