नर्मदा एक्सप्रेस से रहस्यमय ढंग से लापता हुई अर्चना तिवारी का मामला पुलिस और परिजनों के लिए 12 दिनों तक पहेली बना रहा. इन 12 दिन में कई नई कड़ियां जुड़ती गईं लेकिन कहीं भी पुख्ता सुराग हाथ नहीं लग पाया. परिजनों की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, वहीं पुलिस भी हर एंगल से जांच में जुटी रही. आखिरकार एक फोन कॉल ने इस गुत्थी को सुलझाने का रास्ता दिखाया. इसी कॉल की मदद से यह राज खुला कि अर्चना कहां है. अब पुलिस ने अर्चना को लखीमपुर खीरी के पास से बरामद कर लिया है. बताया जा रहा है कि वह नेपाल चली गई थी. हालांकि, सवाल यह अब भी जस का तस है कि वह आखिर काठमांडू तक कैसे और क्यों गई ?
रक्षा बंधन पर घर से निकली और ट्रेन से गायब हो गई
यह पूरी कहानी 7 अगस्त से शुरू होती है. रक्षा बंधन के मौके पर अर्चना तिवारी इंदौर से कटनी जाने के लिए निकली थी. उसने नर्मदा एक्सप्रेस में यात्रा की और एसी कोच B3 की सीट नंबर 3 पर बैठकर सफर शुरू किया. परिवार को पूरा भरोसा था कि अर्चना सुरक्षित कटनी पहुंच जाएगी, लेकिन रानी कमलापति स्टेशन के पास उसकी आखिरी लोकेशन ट्रेस हुई और उसके बाद मोबाइल स्विच ऑफ हो गया. इसके बाद जो हुआ उसने सबको हिला दिया. ट्रेन से अचानक लापता हो जाना, किसी भी स्टेशन पर उतरने का सबूत न मिलना और लोकेशन का अचानक गायब हो जाना… ये सब बातें पुलिस को हैरान कर रही थीं. परिवार की शिकायत पर जीआरपी ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू की, लेकिन शुरूआती दिनों में जांच कहीं भी ठोस नतीजों तक नहीं पहुंची.
12 दिन तक पुलिस के हाथ खाली रहे
जीआरपी और स्थानीय पुलिस ने मिलकर अलग-अलग एंगल से छानबीन की. सीसीटीवी फुटेज देखे गए, सहयात्रियों से पूछताछ की गई, ट्रेन के स्टाफ से सवाल किए गए लेकिन नतीजा शून्य रहा. परिजन भी खुद तलाश में लगे रहे, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिली. सोशल मीडिया पर भी उसकी गुमशुदगी चर्चा का विषय बन गई.
अचानक आई एक कॉल और खुल गई दिशा
करीब 12 दिन बाद, मंगलवार की सुबह एक घटना हुई जिसने इस पूरी खोजबीन को नई दिशा दे दी. अर्चना तिवारी ने अपनी मां को कॉल किया. मां से हुई बातचीत ने पुलिस और परिवार दोनों को चौका दिया. बताया तो यह भी जा रहा है कि कॉल की लोकेशन नेपाल से ट्रेस हुई. इससे साफ हो गया कि अर्चना भारत में नहीं बल्कि नेपाल की राजधानी काठमांडू में है. जैसे ही यह जानकारी सामने आई, पुलिस की टीमें हरकत में आ गईं. लखीमपुर खीरी के रास्ते नेपाल-भारत बार्डर पर अर्चना को ट्रेस किया गया. उसे सीमा पार आने के लिए कहा गया और जैसे ही वह भारतीय सीमा में दाखिल हुई, पुलिस ने उसे सुरक्षित बरामद कर लिया. SRP भोपाल राहुल लोढ़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अर्चना के मिलने की जानकारी दी है.
अब भी बरकरार है रहस्य
भले ही अर्चना तिवारी सकुशल मिल गई हो, लेकिन कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि वह काठमांडू तक कैसे और क्यों पहुंची? क्या वह किसी के बहकावे में आई थी या फिर खुद अपनी मर्जी से वहां गई थी? पुलिस इन सभी सवालों के जवाब तलाश रही है.
जांच में आया ग्वालियर कनेक्शन
इस केस की जांच के दौरान जीआरपी को एक और सुराग मिला. कॉल डिटेल्स खंगालने पर पुलिस ग्वालियर के एक सिपाही राम तोमर तक पहुंची. जांच में पता चला कि इसी सिपाही ने अर्चना का इंदौर से ग्वालियर का टिकट कराया था. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राम तोमर को हिरासत में लिया और पूछताछ के लिए ग्वालियर के झांसी रोड थाने ले गई. पूछताछ में राम तोमर ने साफ कहा कि उसने कभी अर्चना को सामने से नहीं देखा. उसके मुताबिक उनकी बस फोन पर बातचीत हुई थी और उसने केवल टिकट की मदद की थी. गुमशुदगी से उसका कोई लेना-देना नहीं है.
कई टीमों की तैनाती, कई राज खुलने की उम्मीद
हालांकि, पुलिस की जांच यहीं नहीं रुकी. भोपाल जीआरपी, ग्वालियर पुलिस और जबलपुर की टीम मिलकर इस पूरे मामले की तह तक जाने में जुटी हैं. लगातार राम तोमर से पूछताछ की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि इस पूछताछ से कई नए खुलासे हो सकते हैं. जैसे ही ग्वालियर कनेक्शन की बात सामने आई, अर्चना के परिजन भी वहां पहुंच गए. उन्हें उम्मीद है कि अब जाकर इस रहस्य पर से पर्दा उठेगा. वहीं, पुलिस भी लगातार यह जांच कर रही है कि क्या अर्चना ग्वालियर में किसी संपर्क में थी और क्या उसके नेपाल जाने का कोई लिंक ग्वालियर से जुड़ता है.
सोशल मीडिया पर चर्चा
इस केस ने सोशल मीडिया पर भी खूब हलचल मचाई. जब अर्चना की नेपाल में मौजूदगी की खबर सामने आई, तो लोगों ने तरह-तरह की अटकलें लगाना शुरू कर दिया. कुछ लोग इसे लव एंगल से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ इसे किसी संगठित गिरोह से जोड़ रहे हैं. हालांकि, पुलिस का कहना है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी.
रहस्यमयी सफर की अधूरी कहानी
नर्मदा एक्सप्रेस से इंदौर से निकली एक युवती, रानी कमलापति स्टेशन के पास अचानक गायब हो जाती है, फिर नेपाल की राजधानी काठमांडू में उसकी लोकेशन मिलती है और बाद में वह बॉर्डर से बरामद कर ली जाती है… यह पूरी कहानी किसी रहस्य उपन्यास से कम नहीं लगती. फिलहाल पुलिस को उम्मीद है कि अर्चना से पूछताछ के बाद कई राज़ सामने आएंगे. उसके बयान से यह भी स्पष्ट होगा कि वह किन परिस्थितियों में भारत से निकलकर नेपाल तक पहुंच गई.