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Earth Day 2020: हम और हमारी धरती एक हैं की भावना वाला 'अर्थ एंथम' लांच

अर्थ डे के 50 साल के मौके पर दिग्गज संगीतकार डॉ एल सुब्रमण्यम, कविता कृष्णमूर्ति और भारतीय राजनयिक, कवि अभय कुमार ने 'अर्थ एंथम' लांच किया है.

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प्रतीकात्मक इमेज: अभय के, एल सुब्रमण्यम और कविता कृष्णमूर्ति [इनसेट में]
प्रतीकात्मक इमेज: अभय के, एल सुब्रमण्यम और कविता कृष्णमूर्ति [इनसेट में]

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नई दिल्ली: आज पृथ्वी दिवस है. दुनिया इस समय कोरोना संक्रमण से तबाह है, हर तरफ कोहराम मचा है और लोग भयभीत हैं. ऐसे समय में सोशल मीडिया पर यह चर्चा भी चली कि इनसान ने जिस तरह धरती के प्राकृतिक सौंदर्य को आधुनिकता के नाम पर नष्ट किया वह कोरोना महामारी के दौर में सबकुछ रोककर अपने को संरक्षित कर रही है.

सचाई जो हो लेकिन यह सच है कि लोगों को वापस धरती की हरितिमा से, उसके सौंदर्य से जोड़ने की आवश्यकता है. संभवतः इसी उद्देश्य से अर्थ डे के 50 साल के मौके पर दिग्गज संगीतकार डॉ एल सुब्रमण्यम और कविता कृष्णमूर्ति ने इस मौके पर 'अर्थ एंथम' लांच किया है. इसके बोल लिखे हैं भारतीय राजनयिक और कवि अभय कुमार ने. म्यूजिक तैयार किया है खुद डॉ एल सुब्रमण्यम और गाया है कविता कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम और बिंदु सुब्रमण्यम ने.

याद रहे कि इस गाने को वर्ष 2017 में डॉ सुब्रमण्यम ने पहली बार इंग्लिश लिरिक्स के साथ प्रोड्यूस किया था. जिसका दुनियाभर की 50 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है.

भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अभय कुमार ने वर्ष 2008 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में तैनाती के दौरान यह एंथम लिखा था. भारत के प्राचीन ग्रंथों में समावेशित संस्कृत के वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय भावना से प्रेरित इस गीत के लेखक अभय कुमार ने आजतक.इन से बातचीत में कहा कि दुनियाभर में फैल रहे कोरोना वायरस ने एक बार फिर एकदूसरे पर हमारी निर्भरता को साबित कर दिया है. हम चाहे जिस भी देश के नागरिक हों, किसी भी रंग, धर्म व वर्ण से, लेकिन हम खुद को पूरी तरह दुनिया से अलग नहीं कर सकते, ठीक उसी तरह पर्यावरण, प्रदूषण, जैव विविधता और जलवायु से होने वाली हानि हम सबको प्रभावित करता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम दुनिया के किस हिस्से में रह रहे हैं. हम सबकी जिंदगी एक दूसरे पर निर्भर है और इसे खुले दिल से स्वीकार करने की जरूरत है.

फिलहाल मेडागास्कर में भारत के राजदूत कवि अभय कुमार का यह भी कहना है कि जब तक हम ये बात समझ नहीं लेते तब तक हम किसी भी वैश्विक समस्या का सामना नहीं कर सकते, फिर चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, जैव विविधता को होने वाली हानि हो या फिर कोरोना संक्रमण. अर्थ एंथम के बारे में उन्होंने कहा कि अर्थ एंथम के बोल इस प्रकार हैं कि सभी देशों के सभी लोग अनेकों में एक और एक में अनेक हैं. आज सब मिलकर एक ही शत्रु से लड़ रहे हैं. इसलिए आज पहले की तुलना में दुनियाभर के लोगों को एक साथ आने के लिए प्रेरित करने की अधिक जरूरत है. हम जितना जल्दी एक दूसरे से जुड़ेंगे, धरती के संरक्षण की दिशा में फैसला लेंगे उतना ही शीघ्र इस खूबसूरत दुनिया को बचा पाएंगे.

याद रहे कि अभय कुमार अंग्रेजी के कवि और चिंतक हैं. उनके 8 काव्य संकलन आ चुके हैं. वह द ब्लूमबरी एंटोलॉजी ऑफ ग्रेट इंडियन पोएम्स, कैपिटल्स और न्यू ब्राजिलियन्स पोएम्स के एडिटर भी हैं. अभय को उनकी कविताओं को रिकॉर्ड करने के लिए वाशिंगटन डीसी बुलाया गया था और उन्हें सार्क लिटरेरी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. अभय कुमार के इस 'अर्थ एंथम' को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित निर्देशक, फिल्मकार श्याम बेनेगल, ऑस्कर से सम्मानित जेफरी डी ब्राउन, बॉलीवुड एक्ट्रेस मनीषा कोइराला, हॉलीवुड एक्टर रॉबर्ट लिन जैसे दिग्गजों की सराहना मिल चुकी है. साहित्य तक पर आप धरती के पर्यावरण और हरियाली की रक्षा का यह अर्थ एंथम सुन सकते हैं.

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