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गर्भनिरोधक गोली से बढ़ सकता है स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा! स्टडी में हुआ खुलासा

हाल ही में एक बड़ी डेनिश स्टडी में पाया गया है कि कुछ हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियां स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकती हैं. दुनिया भर में लगभग 25 करोड़ महिलाएं हार्मोनल गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती हैं.

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गर्भनिरोधक गोलियों पर हुई रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे हुए.
गर्भनिरोधक गोलियों पर हुई रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे हुए.

Hormonal contraceptives: अनचाही प्रेग्नेसीं को रोकने के लिए अक्सर महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं. कई महिलाएं तो शर्म के कारण बिना डॉक्टर से पूछे ही इन गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं. इमरजेंसी पिल या आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण से बचने के लिए किया जाता है. इसे मॉर्निंग-आफ्टर पिल्स के नाम से भी जाना जाता है. इमरजेंसी पिल लेने का सबसे अच्छा समय है, असुरक्षित यौन संबंध के बाद जितनी जल्दी हो सके. 24 घंटे के अंदर ये गोलियां लेना सबसे अच्छा होता है, लेकिन 72 घंटे के अंदर भी लेने से गर्भधारण से बचा जा सकता है.  

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इमरजेंसी पिल्स का जरूरत से ज्यादा सेवन करने से हार्मोनल इंबैलेंस, अनियमित पीरियड्स के साथ ही एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है.

हाल ही में एक बड़ी डेनिश स्टडी में पाया गया है कि कुछ हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियां स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकती हैं. स्टडी में  यह बताया गया कि दुनिया भर में लगभग 25 करोड़ महिलाएं हार्मोनल गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती हैं.

क्या कहा गया है स्टडी में

स्टडी में 15 से 49 वर्ष की उम्र वाली 20 लाख से ज्यादा डेनिश महिलाओं को 25 सालों तक ट्रैक किया गया. स्टडी में शामिल गर्भनिरोधक गोलियों में एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन गोलियां, वजाइनल रिंग्स, पैच, प्रोजेस्टिन-ओनली गोलियां, इंट्रायूटेरिन डिवाइस (आईयूडी), त्वचा के नीचे इम्प्लांट और इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन शामिल थे.

स्टडी में पाया गया कि...

- एस्ट्रोजन/प्रोजेस्टिन कॉम्बिनेशन गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं में स्ट्रोक के जोखिम को 2.4 गुना और दिल के दौरे के जोखिम को 3.8 गुना बढ़ा दिया था.

- प्रोजेस्टिन-ओनली गोलियां और इम्प्लांट्स भी खतरा बढ़ाते हैं, लेकिन संयुक्त गोलियों की तुलना में कम.

- वजाइनल रिंग्स और स्किन पैच भी खतरा बढ़ाते हैं.

- लेवोनोर्गेस्ट्रेल-रिलीजिंग इंट्रायूटेरिन डिवाइस (आईयूडी) एकमात्र गर्भनिरोधक था जो उपयोग की अवधि की परवाह किए बिना उच्च जोखिम से जुड़ा नहीं था
 
इस स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन ना के बराबर ही करना चाहिए. इस स्टडी में ब्लड क्लॉटिंग, कैंसर, लिवर डिजीज, किडनी की बीमारी, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, एंडोमेट्रियोसिस या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट करवाने वाली महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था.

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