सड़क हो या सिनेमाघर, बाजार हो या दफ्तर, कुछ नजरें हर वक्त आपका पीछा करती हैं. तब तक, जब तक कि आप ओझल नहीं हो जाते. लड़कियों को मुड़-मुड़कर देखने वाली नजरें कभी हार नहीं मानतीं. क्या आप जानते हैं कि कोई इंसान किसी लड़की को घूरने पर जिंदगी का कितना वक्त कुर्बान कर देता है? एक रिसर्च में विपरीत सेक्स को घूरने से संबंधित सभी तरह के तथ्यों का खुलासा किया गया है.
घूरने में औसतन प्रतिदिन 43 मिनट
वैज्ञानिकों ने इन सवालों के जवाब तलाश लिए हैं कि एक इंसान किसी ल़ड़की को घूरने में, आंखें फाड़कर देखने में कितना वक्त कुर्बान करता है. एक ब्रिटिश रिसर्च के हर एक नतीजे चौंकाने वाले हैं. ब्रिटिश संस्था कोडैक लेन्स विजन ने 18 से 50 की उम्र के 3000 लोगों की राय को आधार बनाकर जो अनुसंधान किए हैं उसके मुताबिक पुरुष अपनी जिंदगी का पूरा एक साल लड़कियों को घूरने पर कुर्बान कर देता है. दिन भर में एक इंसान औसतन एक 2 नहीं बल्कि अलग-अलग 10 लड़कियों को घूर लेता है. प्रतिदिन पुरुष दो-चार मिनट नहीं बल्कि औसतन पूरा 43 मिनट लड़कियों या महिलाओं को मुड़-मुड़कर घूरने पर या आँखे फाड़कर निहारने पर खर्च करता है.
चाहकर भी छोड़ नहीं पाते आदत
अगर आप अब तक ये समझते रहे हैं कि लड़कियों तो घूरना पुरुषों की कोई विकृति है या मानसिक रुप से विकृत लोग ही लड़कियों को चौक-चौराहे, बाजार, पार्क या दफ्तर में आँखे फाड़कर घूरते हैं, तो आपको सोच बदलने की जरूरत हैं. ब्रिटिश रिसर्च से तो यही साबित होता है कि हर इंसान में विपरीत सेक्स को घूरने की फितरत होती है. इंसान चाहकर भी घूरने की आदत छोड़ नहीं पाता.
घूरने में लड़कियां भी पीछे नहीं
अगर आप समझते रहे हैं कि लड़कियां वो काम नहीं करतीं, जो लड़के करते हैं तो यह गलत है. लड़कियां इसमें भी लड़कों के कदम से कदम मिला रही हैं. लड़कों की तरह लड़कियों को भी विपरीत सेक्स को घूरना अच्छा लगता है. लड़कियां भी लड़कों को घूरने में, आंखों से आँखे मिलाने में, नजरों से ओझल होने तक आँखों में आँख डालकर रखने में पीछे नहीं हैं. अकेली होने पर लड़कियां बेशक चोरीछुपे लड़कों को घूरने का या नजरों में नजरें गड़ाने का खेल कम खेले, मगर हमउम्र साथियों की मौजूदगी में लड़कियां भी उतनी ही ढीठपन से नजरों का खेल खेलती हैं जितनी की लड़के.
लड़कियां देती हैं जीवन के 6 माह
ब्रिटिश संस्था कोडेक लेंस विजन के रिसर्च में लड़कियों की विपरीत सेक्स को घूरने की आदत पर भी आंखे खोलने वाले नतीजे सामने आए हैं. हालांकि लड़कों या पुरुषों की तुलना में लड़कियों या महिलाओं में घूरने की फितरत थोड़ी कम होती है, लेकिन ये भी जिंदगी का अच्छा खासा वक्त आंखों से रस पीने पर खर्च कर देती हैं. 18 से 50 उम्र की महिलाओं की राय को आधार बनाकर किए गए रिसर्च के मुताबिक लड़कियां या महिलाएं भी औसतन जिंदगी के पूरे 6 महीने विपरीत सेक्स को घूरने पर खर्च कर देती हैं. प्रतिदिन लड़कियों की घूरने की फितरत की अवधि औसतन 20 मिनट है.
हर दिन औसतन 6 लड़के निगाहों में
रिसर्च में ये भी पता चला है लड़कियां या महिलाएं औसतन 6 लड़कों या पुरुषों को औसतन हर दिन घूर लेती हैं. सवाल है कि लड़कियां आखिर लड़कों में क्या देखती हैं. लड़के अगर लड़कियों को घूरते हैं तो क्यों घूरते हैं इस पर भी रिसर्च से चौकाने वाली जानकारियां मिली हैं. {mospagebreak}नजरों का खेल दोनों को ही बेहद पसंद हैं, लेकिन आकर्षण का केंद्र दोनों के लिए अलग-अलग होता है.
लड़कियों के शरीर में आकर्षण
पुरुषों को लड़कियों का शरीर ही आकर्षित करता है. शरीर जितना सुडौल औऱ सुघड़ हो, लड़कों की नजरें उतनी देर तक लडकी पर टिकी रहती हैं. लेकिन लड़कियों के लिए आकर्षण का केंद्र लड़कों का शरीर नहीं बल्कि कुछ और हैं. लड़कियों को लड़कों की आंखें अपनी ओर खींचती हैं और एक बार नजरें मिल जाएं तो बस लड़कियां उसमें डूबती चली जाती हैं. लड़कियां खुद लड़कों को घूरना तो पसंद करती हैं. यहां तक कि जिंदगी के औसतन पूरे 6 महीने, हर दिन करीबन 20 मिनट वो लड़कों को घूरने पर खर्च करती हैं लेकिन लड़कियों को लड़कों का उन्हें घूरना ज्यादा पंसद नहीं. ज्यादातर मामलों में लड़कों की घूरती निगाहों से लड़कियां या तो सहम जाती हैं या शर्मिंदगी महसूस करती हैं.
घूरे जाने पर घबराती हैं लड़कियां
अगर घूरती नजरें जिस्म को भेदनेवाली हों तो लड़कियां बुरी तरह घबरा भी जाती हैं. लेकिन लड़कों के साथ ऐसा नहीं है. न सिर्फ लड़कों में घूरने की आदत ज्य़ादा होती है, बल्कि लड़कियों की तुलना में लड़कों की पसंद भी उल्टी है. लड़कियां जब लड़कों को घूरती हैं या उनपर मुड़-मुंड़कर नजरें गड़ाती हैं, तो लड़कों को खूब भाता है. सच तो ये है कि लड़कियां जब उन्हें घूरती हैं तो लड़के अपने आप पर फख्र महसूस करते हैं और दोस्तों में चौड़ा होकर घूमना शुरु कर देते हैं. साफ है थोड़ी मस्ती के लिए या मन बहलाने के लिए, कभी दोस्तों में रौब दिखाने के लिए या कभी बस विपरीत सेक्स को समझने के मकसद से मुड़-मुड़कर देखना ऐसी फितरत है, जो इंसान के लिए चाहकर भी छोड़ना मुमकिन नहीं.
बड़ी हस्तियों को भी मौके की तलाश
खुल्लम-खुल्ला देखना या नजरें बचाकर देखना आम लोगों के लिए आसान है, पर वो लोग क्या करते हैं जो हैं किसी मुल्क के राष्ट्रपति हैं या हैं बड़े खिलाड़ी या बड़े सितारे हैं? अमेरिकी राष्ट्रपति हुसैन ओबामा या फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी जैसे ऊंचे ओहदे पर बैठे लोग क्या करते हैं? घूरने वाली ओबामा की करतूत रंगे हाथ जहां पकड़ी गई, वो जगह भी कम मामूली नहीं थी. इसी साल इटली में हुए जी-8 मुल्कों के सम्मेलन के दौरान उन्हें लड़कियों को घूरते पाया गया, जहां जी-8 की सदस्य मुल्क दुनिया भर की आर्थिक मंदी, आतंकवाद औऱ दुनिया से गरीबी मिटाने जैसे बड़े मुद्दों पर बहस करने के लिए इकट्ठा हुई थीं.
सरकोजी भी किसी से कम नहीं
लड़कियों को घूरने की फितरत से लाचार अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ही नहीं हैं बल्कि फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी भी हैं. ओबामा की नजर तो जम ही गई मगर फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोजी ने भी जी8 सम्मेलन में हिस्सा लेने आई ब्राजील की महिला डेलिगेट को घूरने का मौका गंवाना उचित नहीं समझा. दुनिया की कई और जानी मानी हस्तियां आंखे बचाकर या मौका देखकर घूरने की चोरी पकड़ी गई हैं. तिरछी नजरों से अमेरिकी चीयर गर्ल पर नजर गड़ाने वालों में जानेमाने फुटब़ॉलर डेविड बेखम भी हैं.
विपरीत सेक्स को निहारने का आनंद
विपरीत सेक्स को निहारने में उतना ही सुख मिलता है जितना की भूखे को भोजन मिलने के बाद या प्यासे को पानी मिलने के बाद. इंसान की संरचना ही एसी है कि विपरीत सेक्स पर नजर पड़ते ही शरीर में एक हॉर्मोनल प्रतिक्रिया होती है औऱ आनंदित होने का अद्भुत एहसास होता है. कुछ हद तक पुरुषों का एक महिला की तरफ या महिला का पुरुष की तरफ़ आकर्षित होना स्वाभाविक माना जाता है, कहीं न कहीं इसके पीछे बायोलॉजिल फैक्टर्स होते हैं. हार्मोनल फैक्टर्स हैं, खास तौर पर यंग एडल्टहुड के अंदर आपके अंदर हार्मोन्स काफी पीक पर होते हैं. पुरुषों के अंदर जो टेस्टोस्टेरोन नाम का हार्मोन है, वो कहीं ना कहीं एक ऐट्रेक्शन, एक डिज़ाय़र पैदा करता है, जिसके चलते कई बार आप दूसरे सेक्स की तरफ़ आप ज़्यादा ध्यान देते हैं.
खुद ही पड़ जाती है नजर
इसी प्रकार से महिलाओं के अदंर भी सेक्सुअल हार्मोन पीक पर होते हैं, जिससे कहीं न कहीं एक ध्यान एक तवज्जो दूसरे सेक्स की तरफ़ जाती है. ये वो सुख है जिससे कोई भी इंसान वंचित नहीं रहना चाहता औऱ जब कभी मौका मिलता है इंसान की आंखें खुद-ब-खुद उस ओर खिचीं चली जाती हैं.