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नया ट्रेंड- अब लड़के-लड़कियां पहनेंगे एक जैसे कपड़े!

वो दिन गए जब पुरुषों और महिलाओं की पहचान उनके कपड़ों से की जाती थी. स्कर्ट महिलाओं के लिए और ट्राउजर पुरुषों के लिए जाना जाता था. समाज में परुष और महिलाओं के लिए अलग- अलग तरह के कपड़े तैयार किए जाते थे. हालांकि महिलाएं तो फिर भी कई तरह के कपड़े पहन सकती हैं. लेकिन पुरुष समाज के डर से चाह कर भी किसी ओर तरह के कपड़े नहीं पहन पाते.

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representational image
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वो दिन गए जब पुरुषों और महिलाओं की पहचान उनके कपड़ों से की जाती थी. स्कर्ट महिलाओं के लिए और ट्राउजर पुरुषों के लिए जाना जाता था. समाज में परुष और महिलाओं के लिए अलग- अलग तरह के कपड़े तैयार किए जाते थे. हालांकि महिलाएं तो फिर भी कई तरह के कपड़े पहन सकती हैं. लेकिन पुरुष समाज के डर से चाह कर भी किसी ओर तरह के कपड़े नहीं पहन पाते.

इसी सोच और डर को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 'जॉन लिवाइस' ब्रांड ने कपड़ों पर 'गर्ल' और 'बॉय' के टैग लगाने की प्रक्रिया को पूरी तरह समाप्त कर दिया है. इसके साथ ही कई सारे फैशऩ ब्रांड ऐसे कपड़े लाने की तैयारी कर रहे हैं जिसे महिलाएं और पुरुष दोनों ही पहन सकेंगे.

इसी प्रकार यू एस बेस्ड वाइल्ड फैंग कंपनी महिलाओँ के टॉमबॉइश कपड़ों के लिए जानी जाती है. 'द फ्यूचर इस फ्लूड' के नाम से इनका नया प्रोजेक्ट आ रहा है. जिसमें उन्होंने कपड़ों के माध्यम से महिला और पुरुष को लेकर बनी समाज की सोच को बदलने का प्रयास किया है.

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इनके कलेक्शन में लूज फीटिंग सूट, स्लोगन टी-शर्ट्स और इस तरह की जैकेट्स तैयार की जाएंगी जिसे महिला और पुरुष दोनों ही पहन सकेंगे.

वाइल्ड फैंग की सीईओ, एम्मा मकरोली ने बताया कि जेंडर न्यूट्रल क्लोदिंग समाज में महिला और पुरुषों पर लगी पाबंदी को दूर करने में मदद करेगा. जिसके बाद महिला और पुरुष को समाज में एक ही नजर से देखा जाएगा.

वहीं कुछ साइकोलोजिस्ट का मानना है कि ये सोच अच्छी तो है, लेकिन इसे सिर्फ बच्चों की क्लोदिंग पर ही लागू करना चाहिए. जिससे बच्चों में एक- दूसरे के प्रति भेदभाव की भावना खत्म हो सकेगी और बचपन से ही वो एक दूसरे की इज्जत करना सीखेंगे.

जेंडर थेरेपिस्ट एक्सपर्ट्स के अनुसार जेंडर न्यूट्रल क्लोदिंग से समाज में सुधार तो जरूर आएगा . लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि महिला और पुरुषों के सामान्य कपड़ों को पूरी तरह से खत्म करना भी गलत होगा.

उनके मुताबिक, किसी की इच्छा के बिना उनको दूसरे जेंडर के कपड़े पहनने पर मजबूर करना सही नहीं हैं, जब तक के वो खुद अपनी मर्जी से ऐसे कपड़े ना पहनना चाहें.

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