Kiwi vs Papaya vs Guava: हरी सब्जियों के अलावा सर्दियों में फलों का सीजन भी आ जाता है, धूप में बैठकर लोगों को फल खाना बहुत पसंद आता है. सर्दियों में अमरूद, संतरा, पपीता और कीवी जैसे तमाम फल मार्केट में नजर आते हैं. अगर आप भी फलों की शौकीन हैं और फल खाते हैं. खासतौर पर फलों में मौजूद फाइबर, एंजाइम और एंटीऑक्सीडेंट आंत को सुचारू तौर से काम करने में मदद करते हैं. इसलिए पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने में शरीर के लिए फल बहुत जरूरी होते हैं.
अच्छा डाइजेशन पूरे स्वास्थ्य की नींव है, फिर भी कई लोग रोजाना पेट फूलना, एसिडिटी, कब्ज और अनियमित मल त्याग जैसी समस्याओं से जूझते हैं. पेट से जुड़ी समस्याओं में दवाइयां कुछ समय के लिए आराम दे देती हैं, लेकिन अधिक समय के लिए आराम नहीं मिल पाता है. मगर डाइजेस्टिव सिस्टम को लॉन्ग टर्म के लिए हेल्दी रखने के लिए पोषण की जरूरत होती है. लंबे समय तक अपनी गट हेल्थ को ठीक रखने के लिए फलों का सेवन बहुत जरूरी है.
डाइजेशन से जुड़ी फायदों के लिए फलों में पपीता, अमरूद और कीवी का नाम सबसे पहले आता है, यह तीनों ही बेहद आसानी से लोकल बाजार में मिल भी जाते हैं. वैसे तो यह तीनों ही फल पाचन के लिए अच्छे माने जाते हैं, लेकिन इन दोनों के ही शरीर के अंदर जाने के बाद काम अलग-अलग होते हैं. कोई प्रोटीन पचाने में हेल्प करता है तो कोई मल त्याग की दिक्कत को सुधारता हैं. तो कोई आंतों के बैक्टीरिया को सहारा देकर सूजन को कम करने के काम आता है.
अब सवाल यह उठता है कि इन तीनों में से डाइजेशन के लिए कौन-सा फल अधिक फायदेमंद और बेहतर है. इसका जवाब आपकी गट प्रॉब्ल्म पर भी निर्भर करता है, कीवी, पपीता और अमरूद गट हेल्थ को फायदा पहुंचाते हैं और आपको अपनी जरूरत के मुताबिक इनमें से किसकी चुनना चाहिए. आइए जानते हैं कि कीवी, अमरूद और पपीता में से पेट की किस समस्या के लिए कौन-सा फल खाना ज्यादा बेहतर होगा.
जिन लोगों को मल त्याग से जुड़ी कोई समस्या होती है तो उनको कीवी खाना चाहिए. कीवी में घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं और इसलिए यह मल त्याग में मददगार होते हैं. इसमें एक्टिनिडिन नामक एंजाइम भी होता है जो प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है, जिससे डाइजेशन प्रोसेस आसान हो जाता है. कई स्टडी में सामने आया है कि अगर आप नियमित कीवी खाने हैं तो धीरे-धीरे मल त्याग में सुधार आता है और पेट फूलने की परेशानी भी कम होने लगती है. कीवी की बात करें तो यह स्लो डाइजेशन, गच सिंड्रोम से पीड़ित लोगों के लिए खासतौर पर फायदेमंद होती है.
खाना खाने के बाद पेट में भारीपन से निजात पाने के लिए पपीता बेस्ट फल है, क्योंकि इसे बेहतर डाइजेशन के लिए एंजाइम का पावरहाउस भी कहा जाता है. पपीते में पैपेन नाम का एंजाइम होता है, जो प्रोटीन को डाइजेस्ट करने में मदद करता है. इसलिए जिन लोगों को अपच, एसिडिटी या पेट फूलने की समस्या होती है, उन लोगों को पपीता अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए. पपीता आंतों को ठीक करने में भी मददगार होता है और पेट के लिए हल्का होता है, इसलिए यह डाइजेशन से जुड़ी हर समस्या के लिए अच्छा होता है.
जब बात आंतों की सफाई की होती है तो तो फाइबर से भरपूर अमरूद का नाम सबसे पहले आता है. भरपूर मात्रा में इसमें ही फाइबर पाया जाता है और यह फाइबर के लिए बेहतरीन सोर्स माना जाता है. जो मल को गाढ़ा बनाने और नियमित मल त्याग को बढ़ावा देने में मदद करता है. आंतो के बैक्टीरिया को भी बढ़ाता देता है और कब्ज को रोकने में काम आता है. हालांकि,सेंसिटिव डाइजेशन वाले लोगों के लिए अमरूद के बीज कभी-कभी दिक्कत कर सकते हैं. अमरूद को अच्छी तरह से चबाकर खाने से और सीमित मात्रा में खाने से इस दिक्कत से बचा जा सकता है.
अगर आप कब्ज से परेशान हैं तो कीवी और अमरूद बेहतरीन ऑप्शन हैं क्योंकि इनमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है. अपच या खाने के बाद पेट फूलने की समस्या के लिए पपीता सबसे अच्छा रहता है क्योंकि इसमें नेचुरल एंजाइम पाए जाते हैं. जिन लोगों का पेट सेंसिटिव होता है या जो बीमारी से उबर रहे होते हैं, उनके लिए पपीता पचाने में सबसे आसान हो सकता है.
इन तीनों फलों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, मगर इन फलों को जितना हो सके ताजा खाएं और इन्हें हैवी मील के साथ न लें.