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मोदी-शाह के 'बिहार दांव' का 2019 कनेक्शन

मोदी-शाह के 'बिहार दांव' का 2019 कनेक्शन

नीतीश कुमार के एनडीए के खेमे में आने को 2019 चुनाव से पहले मोदी-शाह की जोड़ी की बड़ी सफलता मानी जा रही है. इससे एक तरफ जहां विपक्ष का सबसे विश्वसनीय चेहरा अपने पाले में आ गया है वहीं मोदी को चुनौती देने के लिए राष्ट्रीय महागठबंधन बनाने का आइडिया भी फेल होता हुआ दिख रहा है. नीतीश की एनडीए में वापसी से देश में उत्तर, पश्चिम और पूर्व में हर तरफ भाजपा का आधार मजबूत होने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 में सत्ता में वापसी करने की संभावना पहले से अधिक प्रबल होती दिखायी पड़ रही है. जदयू के नीतीश कुमार के बिहार में साथ आ जाने से भाजपा और उसके सहयोगी दलों का देश की लगभग 70 फीसदी से अधिक आबादी पर शासन हो गया और भगवा पार्टी की छाप तकरीबन देश के सभी हिस्सों तक पहुंच गई है. अब भाजपा और उसके सहयोगियों की उन 12 राज्यों में से सात में सरकार है जहां से 20 या इससे अधिक लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं. ऐसे पांच गैर भाजपा राज्यों में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है. इसमें तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और ओडिशा में बीजद का भगवा कैम्प की तरफ झुकाव रहा है.

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