कोख की अहमियत क्या दुनिया की किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा हो सकती है. दूध का कर्ज क्या कोई भी कीमत देकर चुकाया जा सकता है. जिस मां बाप ने पूरा बचपन सीने से लगाकर गुजारा, वो मां बाप बुढापे में दर ब दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए.