उत्तरकाशी (Uttarkashi) के धराली गांव में बादल फटने के बाद वहां फंसे हुए लोगों को रेस्क्यू करके सुरक्षित बाहर लाया जा रहा है. इस हादसे के वक़्त वहां पर कई राज्यों से आए हुए पर्यटक भी मौजूद थे. बादल फटने से पूरे इलाके की बिजली और नेटवर्क चला गया था, जिससे लोगों का संपर्क कट गया था. लोगों को 80 फीट के मलबे के ऊपर से रेस्क्यू करके लाया गया है.
धराली से रेस्क्यू होकर आए बेंगलूरू के दंपत्ति ने बताया, "हमारा होटल सुरक्षित बच गया, हमारे बग़ल वाले सारे होटल ढह गए. जैसे ही हादसा हुआ, हम तुरंत सामान उठाए और वहां से निकल गए. हम ख़ुद को लकी समझते हैं कि बच गए."
इस भयंकर आपदा के बाद जो लोग सकुशल वापस आए हैं, उनके चेहरे पर एक तरफ मुस्कान है, तो वहीं दूसरी तरफ आंखों में भयावह मंजर की दहशत भी नजर आ रही है.
महाराष्ट्र से धराली घूमने आए कृष्णा ने बताया कि उनका 18 लोगों का एक ग्रुप है, जिसमें 10 महिलाएं भी शामिल हैं. ये सभी चारधाम यात्रा के लिए निकले हुए थे और हादसे के वक्त धराली से सात किलोमीटर पहले भैरो घाटी में रुके थे.
'दो दिन तक घर पर बात नहीं हो पाई...'
महाराष्ट्र से आए ग्रुप की एक महिला ने बताया कि हम दो दिनों से बहुत टेंशन में थे, क्योंकि घर पर हमारी बात नहीं हो पा रही थी. मिलिट्री वालों ने हमारी घर पर बात करवाई. घर वाले टीवी पर सब कुछ देख रहे थे, इसलिए सब घबराए हुए थे. एक अन्य महिला ने कहा कि हम अभी खुश हैं, लेकिन दो दिन हम लोग बहुत परेशान थे. घर के लोग भी परेशान थे.
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यात्रा पूरी करके ही लौटेंगे घर...
यात्री कृष्णा ने बताया कि उन्होंने पांच तारीख को गंगोत्री के दर्शन किए थे और दोपहर में ही उन्हें बादल फटने की जानकारी मिली. उन्होंने सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं के लिए धन्यवाद कहा.
मौत के मुह से बचकर वापस आए लोगों का कहना है कि वे अपनी चारधाम यात्रा पूरी करने के बाद ही वापस घर जाएंगे. यह दिखाता है कि भयावह हादसे के बाद भी लोगों का मनोबल कम नहीं हुआ है.