यूपी विधानसभा चुनाव के समय से ही संघमित्रा मौर्य को लेकर यह चर्चा चल पड़ी थी कि वह शायद ही बीजेपी में रहेंगी क्योंकि पिता स्वामी प्रसाद मौर्य तो सपा के हो चुके हैं. लेकिन इन दिनों बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच चल रहे माइक्रो डोनेशन अभियान में उत्तर प्रदेश में सबसे अव्वल आने वाले नेताओं में शुमार होने के बाद अब यह कहा जा रहा है संघमित्रा मौर्य ने दोबारा से बीजेपी को साधना शुरू कर दिया है. बीजेपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने ट्वीट कर जब माइक्रो डोनेशन अभियान की सूची जारी की तो उसमें संघमित्रा मौर्य का नाम दूसरे नंबर पर था जबकि सपा से भाजपा मे आए नेता ने माइक्रो डोनेशन अभियान में यूपी में सबको पछाड़कर नंबर वन बने हैं और बदायूं से सांसद संघमित्रा दूसरे नंबर पर हैं.
क्या है बीजेपी का माइक्रो डोनेशन अभियान?
बीजेपी ने पार्टी के स्थापना दिवस के दिन माइक्रो डोनेशन कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस अभियान में पार्टी के कार्यकर्ताओं से लगाकर मंत्री, विधायक, सांसद भी जुटे हुए हैं. पार्टी की ओर से नमो एप के जरिए माइक्रो डोनेशन अभियान का संचालन किया जा रहा है. डोनेशन के तुरंत बाद डोनेशन देने वाले का एक रेफरल कोड जनरेट हो जाता है. इस रेफरल कोड को फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर के माध्यम से अन्य लोगों के साथ साझा किया जा सकता हैं. इच्छुक व्यक्ति एक क्लिक करने के बाद अपनी जानकारी भरकर कम से कम 5 रुपये और अधिकतम 1000 रुपये तक बीजेपी को चंदे के रूप मे दे सकता है.
पहले नंबर पर MLC आशीष यादव
बीजेपी ने एप के माध्यम से इस अभियान को चलाकर सभी राज्यों और जिलों मे प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी है. सासंद, मंत्री, विधायक और पदाधिकारी समाज मे अपनी स्वीकार्यता सिद्ध करने के लिए अधिक से अधिक लोगो से चंदा देने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है. प्रदेश स्तर पर सभी नेताओं की मॉनिटरिंग भी हो रही है. इसी क्रम मे कल संगठन मंत्री सुनील बंसल ने यूपी के 30 सबसे ज्यादा रेफरल करने वालों की लिस्ट जारी की. लिस्ट मे नंबर 1 पर सपा से बीजेपी मे आए एटा से एलएलसी आशीष यादव का नाम है. आशीष ने कल तक 5565 लोगों से बीजेपी को चंदा दिला दिया था जिसकी संख्या खबर लिखे जाने तक 7041 हो चुकी है. लिस्ट मे दूसरे नंबर पर बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य का नाम है. संघमित्रा ने कल तक 4889 लोगों से पार्टी को माइक्रो डोनेशन दिला चुकी थीं जिसकी संख्या अभी तक 5862 हो चुकी हैं.
संघमित्रा के आंकड़ों ये हैं मायने
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि संघमित्रा मौर्य इस माध्यम से अपना कद मजबूत दिखाना चाहती हैं. इसी के साथ पिता की हार के बाद 2024 के चुनाव में बदायूं से अपना टिकट पक्का करना चाहती हैं. यही वजह है कि वह इन दिनों माइक्रो डोनेशन अभियान के जरिए न सिर्फ पार्टी में सक्रिय दिखाई दे रही हैं बल्कि अपनी निष्ठा को भी साबित करने का प्रयास कर रही हैं. लेकिन इन सबके बीच संघमित्रा अभी तक बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच सहज महसूस नही कर रही है या कहे कि आंखें चुरा रही हैं. बीजेपी के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर मे संघमित्रा ने शिरकत नहीं की.