
यूपी के फिरोजाबाद में चूड़ी उद्योग पर भी कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन की मार पड़ी. कोरोना वायरस के कारण फिरोजाबाद की कांच की चूड़ियों का उद्योग मंदी से गुजर रहा था. व्यापारियों में घोर निराशा थी क्योंकि फैशन के दौर में महिलाओं ने कांच की चूड़ी पहनना कम कर दिया और स्टील, लाख, प्लास्टिक, लाख के कड़े की मांग बढ़ गई जिसे पढ़ी-लिखी और कामकाजी महिलाएं बड़े ही चाव से पहन रही थीं. 11 अगस्त को पड़ रहे हरियाली तीज से पहले चूड़ी की मांग में आई उछाल ने व्यापारियों में उत्साह का संचार कर दिया है.
फिरोजाबाद में कांच की चूड़ी की डिजाइन हर 15 दिन बाद बदल जाती है. हर नई डिजाइन का नाम फिल्म, किसी हीरोइन या किसी प्रसिद्ध खिलाड़ी के नाम पर रखी जाती रही है लेकिन अब ये परंपरा भी बदल गई है.
कांच की चूड़ियों के थोक विक्रेताओं ने डिजाइन के नाम लॉकडाउन, कोरोना, डेल्टा वन, डेल्टा प्लस, डेल्टा सिक्स रख दिए हैं. इन नाम की चूड़ियां बाजार में खूब बिक रही हैं. बदहाली से गुजर रहे फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग के लिए इस साल हरियाली तीज और रक्षाबंधन से पहले कोरोना काल पर आधारित नाम की डिजाइन वाली चूड़ियां जैसे संजीवनी लेकर आई हैं.

कांच की चूड़ी के थोक व्यापारी अनिल गुप्ता का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन पर चूड़ी की बिक्री ठीक हो रही है. नाम बदलने के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जो नाम प्रचलन में होते हैं वे लोगों को जल्दी से याद हो जाते हैं. इसी आधार पर चूड़ी की डिजाइन का नामकरण किया जाता है लेकिन यह नाम बहुत लंबे समय तक नहीं रहते.

अनिल गुप्ता ने कहा कि चूड़ी की नई डिजाइन जैसे ही बनेगी, उसका नाम उस समय चल रही प्रसिद्ध वस्तु से जोड़कर रख दिया जाएगा. चाहे वह फिल्मी हो, हीरोइन हो, कोई खिलाड़ी हो या फिर कोई बड़ा इवेंट. इस बार नई डिजाइन की चूड़ी का नाम कोरोना से जोड़कर कर दिया गया है जो चर्चा का विषय बन गया है. उन्होंने दिवाली तक चूड़ी की अच्छी बिक्री होने की उम्मीद जताई.
क्या कहती हैं महिलाएं
फिरोजाबाद के जैन नगर की निवासी पायल उपाध्याय कहती हैं कि हरियाली तीज और रक्षाबंधन रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनने के अवसर हैं. नारी का श्रृंगार बिना चूड़ी के अधूरा है. उन्होंने कहा कि नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता. इस बात का कोई मतलब नहीं रह जाता कि हम कोरोना नाम के डिजाइन की चूड़ी पहन रहे हैं या डेल्टा, वायरस नाम की.
पायल उपाध्याय कहती हैं कि हम तो चूड़ी की डिजाइन और रंग अपनी साड़ी की मैचिंग के अनुसार ही निर्धारित करते हैं. वहीं, फिरोजाबाद के ही नई बस्ती इलाके में सुरजीत अपार्टमेंट की संगीता गुप्ता बताती हैं कि कांच की चूड़ी का नाम जो व्यापारी रख देते हैं, हमें उस पर कोई आपत्ति भी नहीं है लेकिन कोरोना और लॉकडाउन से जुड़ी यादों को ताजा करने का यह एक अच्छा तरीका भी है.