12 जून की दोपहर अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए आम दिनों की तरह थी. चारों तरफ यात्रियों की हलचल थी. लोग अपने-अपने मंजिल पर जाने के लिए इधर-उधर भागदौड़ कर रहे थे. अलग-अलग एयरलाइंस के काउंटर पर लाइन में खड़े लोग कहीं चेक-इन कराने में व्यस्त थे, तो कहीं सिक्योरिटी चेकिंग चल रही थी. लोग अपना-अपना सामान लिए अपनी मंजिल पर जाने के लिए तैयार थे. उसी भीड़ में 230 यात्रियों का काफिला लंदन के लिए उड़ान भरने को तैयार था. साथ में 2 पायलट और 10 क्रू मेंबर भी थे, जिनके लिए आज का दिन उनके आम दिनों जैसा ही था, वो अगले ही कुछ पलों में होने वाले उड़ान के लिए तैयारी कर रहे थे.
एअर इंडिया की उड़ान AI-171 कुछ घंटों के लिए उनके सफर का साथी बनने वाला था. 242 जिंदगियां, सबके अपने अपने ख्वाब. अगले कुछ लम्हों में होने वाले जिंदगी की आखिरी उड़ान से बेखबर इन लोगों ने अपने भविष्य को लेकर कई योजनाएं बनाई होगीं. कोई, बिजनेस ट्रिप पर जा रहा था, तो कोई अपने रिश्तेदारों से मिलने, हर इंसान की अपनी-अपनी वजह थी.
दोपहर के 1.10 मिनट पर AI-171 को उड़ान भरना था, लोग बोर्डिंग गेट के पास बैठकर बोर्डिंग शुरू होने का इंतजार कर रहे थे. 12.10 मिनट पर बोर्डिंग शुरू होती है और लाइन में लगे यात्री धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ते हैं. इस खौफ से अनजान कि बस अब कुछ ही पल की जिंदगी बची है. राजस्थान की रहने वाली 21 साल की नई नवेली दुल्हन खूशबू पहली बार अपने पति से मिलने लंदन जा रही थी, लंदन जाने की खुशी उसकी आखिरी तस्वीर में साफ झलक रही थी.

खुशबू के पिता ने एयरपोर्ट पर बेटी को विदा करते हुए एक भावुक फोटो खिंचवाई थी और वॉट्सऐप पर स्टेटस लगाया था, उन्होंने लिखा था 'आशीर्वाद खुशबू बेटा, गोइंग टू लंदन.' खुशबू ने नए देश, नए शहर और नए घर में अपने पति के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करने के अनगिनत सपने देखें होंगे, न जाने कितनी प्लानिंग की होगी. एयरपोर्ट पर अपने पिता को गले लगाते हुए उनसे बिछड़ने का गम भी था और साथ ही नई जिंदगी की शुरुआत की खुशी भी. प्लेन में बैठने के बाद पल भर का सुकून भी मिला होगा कि अब वो अपने पति के साथ नया जीवन शुरू करेगी. दोपहर 1:38 मिनट पर एयर इंडिया के विमान ने रनवे छोड़ा. खुशबू ने शायद अपने मोबाइल में शादी की तस्वीरें भी देखी होंगी, लेकिन अचानक एक धमाके में सारे ख्वाब राख हो गए. उसे शायद समझने का मौका भी नहीं मिला होगा और ये सफर उसकी जिंदगी की आखिर सफर बन गया.
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ब्रिटिश यात्री जेमी रे मीक (Jamie Ray Meek) भारत घूमने आए थे. मौत के कुछ घंटे पहले के उनके वायरल होते वीडियो उनकी कहानी बता रहे हैं कि वो अपनी इस यात्रा से कितने खुश थे. उनका आखिरी वीडियो सोशल मीडिया पर लोगों के सामने है, जो उन्होंने अहमदाबाद एयरपोर्ट से रिकॉर्ड किया था हंसते- मुस्कुराते जेमी रे मीक को देखकर यही लग रहा है कि भारत से लौटने वक्त वे अपने साथ खूबसूरत यादें लेकर जा रहे हैं. वो अपने साथी के साथ मस्ती कर रहे हैं. अपने जीवन के आखिरी पलों में हर अनहोनी से अनजान, बिंदास जेमी रे मीक और उनके साथी फियोनगल ग्रीनलॉ-मीक फ्लाइट में चढ़ने का इंतजार करते हुए अच्छे मूड में नजर आ रहे हैं. कैमरे की तरफ मुस्कुराते हुए फियोनगल ने कहा कि हम एयरपोर्ट पर हैं. बस थोड़ी देर में बोर्डिंग कर रहे हैं. अलविदा भारत. वहीं, जेमी कहते हैं- अब हम इंग्लैंड वापस जा रहे हैं. लेकिन दोनों का ये अलविदा भारत से ही नहीं दुनिया से हो गया, उनका हंसी-मजाक वाला वीडियो उनकी जिंदगी का आखिरी वीडियो बन गया.
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इसी प्लेन में सूरत के डॉक्टर हितेश शाह भी अपनी पत्नी अमिता शाह के साथ लंदन में रहने वाली बहन की बेटी का जन्मदिन मनाने के लिए जा रहे थे. जिसके लिए उन्होंने खासतौर पर अपने अस्पताल से छुट्टी मांगी थी. अस्पताल प्रशासन को बताया था कि वह 20 तारीख को लंदन जाने वाले थे, लेकिन अब वह 12 तारीख को लंदन जा रहे हैं. अपने बिजी शेड्यूल से फुरसत के कुछ पल अपने परिवार के साथ बिताना चाहते थे, लेकिन उनकी ये छुट्टी उनके जीवन के लिए काल बन गई. हितेश शाह एक जनरल सर्जन थे और अपना प्राइवेट हॉस्पिटल बंद करने के बाद ट्रस्ट के अस्पताल के साथ जुड़े थे.
इस हादसे में जहां 265 लोगों की जिंदगी एक पल में खत्म हो गई, वहीं एक करिश्मा भी हुआ. इस हादसे में विश्वास कुमार अकेले जिंदा बचे हैं, जो उस दर्दनाक हादसे के इकलौते गवाह भी है. अस्पताल के बिस्तर पर लेटे विश्वास कुमार ने एक न्यूज चैनल को आपबीती सुनाते हुए कहा- 'प्लेन जैसे ही रनवे पर स्पीड पकड़ने लगा, तभी कुछ अजीब-सा लगा. अचानक 5-10 सेकंड के लिए सब जैसे रुक गया था. सन्नाटा, फिर एकदम से ग्रीन और व्हाइट लाइट्स ऑन हो गईं. लगता था जैसे टेकऑफ के लिए पायलट ने पूरा जोर लगा दिया हो. बस फिर क्या था वो रफ्तार सीधा हॉस्टल की बिल्डिंग में जा घुसी.'
विश्वास आगे कहते हैं- 'मेरी सीट प्लेन के जिस हिस्से में थी, वो बिल्डिंग के निचले हिस्से से टकराया होगा. ऊपर के हिस्से में आग लग गई थी, कई लोग वहीं फंसे रह गए. शायद मैं सीट सहित नीचे गिर गया था. मैं जैसे-तैसे निकल पाया. दरवाजा टूट गया था, और सामने कुछ खाली जगह दिखी, तो निकलने की कोशिश की. दूसरी साइड पर दीवार थी, वहां से शायद कोई नहीं निकल सका. आंखों के सामने ही दो एयर होस्टेस, एक अंकल-आंटी और सबकुछ जल रहा था.' इस हादसे में विश्वास का बायां हाथ बुरी तरह जल गया, लेकिन जान बच गई. उन्हें जहां अपनी जान बचने की खुशी है वहीं अपने भाई के खोने का गम भी है जो उनके साथ सफर कर रहे थे.
ये तो रही यात्रियों की कहानी, अब बात करते हैं एयर इंडिया के इस विमान के पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल की. 8200 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव रखने वाले सुमित जल्द ही नौकरी छोड़ने का प्लान बना रहे थे. 2 साल पहले ही उनकी मां का देहांत हुआ था. 88 साल के पिता की जिम्मेदारी सुमित के कंधों पर थी, लेकिन अपनी नौकरी की वजह से वो अपने पिता को वक्त नहीं दे पा रहे थे, वो जल्द ही नौकरी छोड़कर अपने पिता की सेवा करने का सपना देख रहे थे, लेकिन उनका ये सपना अधूरा रह गया और वो अपने पिता को अकेला छोड़कर चले गए.
12 जून का ये दिन मेघानीनगर के एक मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए कयामत का दिन साबित हुआ. कॉलेज के छात्र कैंटीन में बैठकर खाना खा रहे थे कि अचानक एक आग का गोला उनपर आ गिरा और सबकुछ बिखर गया. हादसे की तस्वीरें उस दर्दनाक हादसे की गवाही दे रहे हैं, प्लेट में बिखरा खाना, टूटे फर्नीचर खुद उस त्रासदी की कहानी बयां कर रहे हैं. उन छात्रों को कुछ सोचने या संभलने का मौका भी नहीं मिला होगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विमान हादसे में पांच एमबीबीएस के छात्र, एक पीजी रेजिडेंट डॉक्टर और बीजे मेडिकल कॉलेज अहमदाबाद के सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर की पत्नी की भी मौत हुई है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने यह भी दावा किया है कि इस हादसे में 60 से अधिक मेडिकल छात्र घायल हुए हैं. FAIMA के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर दिव्यांश सिंह ने कहा कि हादसे वाली जगह पर मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है और सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है. इसी हादसे में एक छात्र ने दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान बचाई.

अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाली AI-171 चंद सेकेंड बाद आग के गोले में तब्दील हो गई और सबकुछ खत्म हो चुका था, इस भयावह हादसे में सिर्फ 265 लोगों की मौत नहीं हुई,बल्कि उनसे जुड़े सैकड़ों लोगों को जिंदगी भर का ऐसा जख्म मिला है जो कभी नहीं भरेगा. विमान हादसे की तस्वीरें जितनी भयानक थीं, उतनी ही दर्दनाक अस्पताल के बाहर रोते-बिलखते उनके रिश्तेदारों की तस्वीरें हैं, जो अपने लोगों के शवों की पहचान तक नहीं कर सकते हैं. हादसे को 24 घंटे से ज्यादा गुजर चुके हैं, लेकिन लोग बदहवाश उनकी पहचान के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं. इन लोगों को दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. किसी का बेटा नहीं रहा, तो किसी के सर से पिता का साया छिन गया, किसी की बहन इस हादसे का शिकार हुई तो किसी की बेटी खत्म हो गई.
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