बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. बसपा प्रमुख मायावती द्वारा उत्तर प्रदेश की खराब कानून-व्यवस्था का हवाला देकर मंगलवार को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग पर पलटवार करते हुए सपा ने कहा है कि मायावती को न तो संविधान का ज्ञान है, और न ही प्रयोग किए गए शब्दों का सही अर्थ मालूम है.
सपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सपा कार्यकर्ताओं के लिए बेलगाम और दहशतगर्द शब्दों का इस्तेमाल उनकी भाषा संबंधी अज्ञानता का सूचक है. इनका इस्तेमाल तो बसपाइयों के खिलाफ ही हो सकता है जो उनके शासनकाल में दूसरों के घर जलाने, दुष्कर्म, अपहरण, लूट और वसूली के धंधों में लगे रहे थे.
चौधरी ने कहा कि संविधान में राज्यों में राष्ट्रपति शासन के लिए कुछ निश्चित प्रावधान है. ऐसी मांग करना और प्रदेश में जंगलराज बताना अपनी घोर अज्ञानता का परिचय देना है.
चौधरी ने कहा कि मायावती सरकार में उत्तर प्रदेश की भ्रष्टाचार, लूट और अराजकता के चलते दुनिया भर में बदनामी हुई. अपने समय की इस हकीकत से आंखें मूंदकर मायावती सपा सरकार की उपलब्धियों को नकार रही है, अगर उनमें जरा भी लोकलाज होती तो वे ऐसा नहीं करती.
मायावती को अपने भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के कारण भय सता रहा है. वह बचने के लिए गुहार लगा रही है और निराशा तथा कुंठा में अनापशनाप बयानबाजी कर रही है. उनका यह आचरण अलोकतांत्रिक एवं घोर निंदनीय है.
गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार दोपहर मायावती ने लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन में सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में गुंडों और माफियाओं का राज है. चारों तरफ अराजकता का माहौल है. राज्यपाल को सूबे की बिगड़ी कानून-व्यवस्था के संबंध में राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजनी चाहिए.