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झारखंड की सत्ता में उथल-पुथल की Full Story...

झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन और नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे पहले पिता-पुत्र बन गए, जिन्होंने राज्य की कमान संभाली हो.

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शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन
शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन

झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन और नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे पहले पिता-पुत्र बन गए, जिन्होंने राज्य की कमान संभाली हो.

हेमंत सोरेन ने झारखंड के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में जब शपथ ग्रहण की, तो वे राज्य में पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए जिनके पिता (शिबू सोरेन) भी यहां के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. यह बात अलग है कि राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी तीन बार संभालने वाले शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और हर बार उन्हें कुर्सी बीच में ही गवांनी पड़ी.

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव, जम्मू कश्मीर में फारुक अब्दुल्ला के पुत्र उमर अब्दुल्ला, ओडिशा में बीजू पटनायक के बेटे नवीन पटनायक भी वर्तमान में अपने पिता के बाद राज्य के मुख्यमंत्री हैं.

पंद्रह नवंबर, 2000 को झारखंड राज्य के गठन के बाद यहां पहली बार बीजेपी के बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 852 दिन बाद ही उन्हें पद से हटना पड़ा. 18 मार्च, 2003 को जब अर्जुन मुंडा को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया, तो राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का दौर प्रारंभ हो गया, जो अब तक नहीं थम सका है.

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बीजेपी के अर्जुन मुंडा ने 18 मार्च, 2003 को झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की, लेकिन उनकी सरकार भी 715 दिन बाद ही 2 मार्च, 2005 को विदा हो गई और एक बार फिर इसी दिन राज्यपाल ने जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन को अल्पमत में होते हुए भी सरकार बनाने के लिए निमंत्रित कर दिया और उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. लेकिन सिर्फ दस दिन बाद 12 मार्च, 2005 को केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप पर शिबू सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

इसके बाद एक बार फिर बीजेपी के अर्जुन मुंडा ने 12 मार्च, 2005 को जेडीयू और निर्दलीयों के सहयोग से नई सरकार का गठन किया और वह 14 सितंबर, 2006 तक 555 दिन राज्य के चौथे मुख्यमंत्री रहे. जब उनके साथ जुड़े निर्दलीय विधायकों ने मधु कोड़ा के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया तो अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

चौदह सितंबर, 2006 को निर्दलीय मधु कोड़ा को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया और उन्हें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा व अन्य निर्दलीयों ने समर्थन दिया. इस सरकार में अधिकतर निर्दलीय विधायक ही मंत्री बने. यह सरकार 709 दिन बाद 27 अगस्त, 2008 को मुख्यमंत्री पद न मिलने से नाराज जेएमएम नेता शिबू सोरेन की पार्टी के समर्थन वापस लेने के चलते गिर गयी. पांचवें मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने इसी दिन अल्पमत में आने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

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मधु कोड़ा के इस्तीफे के बाद राज्य में दूसरी बार फिर शिबू सोरेन को 27 अगस्त, 2008 को ही राज्य के छठे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी और वह 144 दिन तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. संविधान के अनुसार छह माह के भीतर राज्य का मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने तमाड़ विधानसभा से उपचुनाव लड़ा और दुर्भाग्य से वह चुनाव हार गये और उन्हें पुन: 18 जनवरी, 2009 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इन हालात में 19 जनवरी 2009 को झारखंड में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया जो दो अवधि में कुल 344 दिनों के लिए 29 दिसंबर, 2009 तक जारी रहा.

राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान तीसरी विधानसभा के लिए कराये गये चुनावों के बाद फिर त्रिशंकु विधानसभा बनी और 30 दिसंबर, 2009 को एक बार फिर जेएमएम के शिबू सोरेन के नेतृत्व में सरकार का गठन किया गया जिसे बीजेपी, आजसू पार्टी और जेडीयू ने अपना समर्थन दिया.

शिबू इस बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. केन्द्रीय बजट पर सहयोगी बीजेपी के कटौती प्रस्ताव के विरोध में और केन्द्र की यूपीए सरकार के समर्थन में लोकसभा सदस्य के रूप में मतदान कर उन्होंने आफत मोल ले ली. इस पर बीजेपी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया जिसके चलते अल्पमत में आ जाने के कारण 31 मई 2010 को शिबू को अपनी सरकार का इस्तीफा देना पड़ा.

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शिबू सोरेन के 31 मई, 2010 को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य में कोई भी राजनीतिक दल नयी सरकार के गठन के लिए आगे नहीं आया जिसके कारण यहां एक जून, 2010 से दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा जो 11 सितंबर, 2010 तक कुल 102 दिनों तक चला. उसी दिन बीजेपी के अर्जुन मुंडा ने तीसरी बार राज्य के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. उनकी सरकार को जेएमएम, आजसू और जेडीयू एवं दो निर्दलीय विधायकों ने बिना शर्त समर्थन दिया था. बाद में 850 दिनों के बाद आठ जनवरी, 2013 को उनकी सरकार से जेएमएम ने अपना समर्थन वापस ले लिया और अर्जुन मुंडा सरकार ने उसी दिन इस्तीफा दे दिया. लेकिन राष्ट्रपति शासन 18 जनवरी, 2013 को लागू किये जाने के कारण मुंडा 18 जनवरी, 2013 तक राज्य के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते रहे.

राज्य में तीसरी बार 18 जनवरी, 2013 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया जो 176 दिन बाद आज तब समाप्त हुआ जब जेएमएम नेता हेमंत सोरेन ने राज्य के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. हेमंत सोरेन को कांग्रेस, आरजेडी और तीन छोटे दलों के तीन व चार निर्दलीय विधायकों समेत कुल 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त है.

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