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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कॉलेजियम से हो: सुप्रीम कोर्ट में PIL

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया में बदलाव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की. सुप्रीम कोर्ट के वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका में कहा गया है कि आयोग को नियम बनाने यानी रूल मेकिंग पावर सहित अधिक अधिकार दिए जाएं.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया में बदलाव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की. सुप्रीम कोर्ट के वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका में कहा गया है कि आयोग को नियम बनाने यानी रूल मेकिंग पावर सहित अधिक अधिकार दिए जाएं.

मिले समान अधिकार

याचिका में ये भी मांग की गई है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट आदेश दे कि तीनों चुनाव आयुक्तों को समान अधिकार और संवैधानिक संरक्षण मिले. इनको हटाने की भी समान प्रक्रिया अपनाई जाए.

बता दें कि अभी सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की तय संवैधानिक प्रक्रिया है. बाकी दोनों आयुक्तों के खिलाफ तो शिकायत मिलने और सही पाए जाने पर राष्ट्रपति की अधिसूचना से ही हटाया जा सकता है. क्योंकि चुनाव आयोग में नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया जब तय हुई थी तब एक ही आयुक्त होता था वो ही मुख्य चुनाव आयुक्त था. आयोग तीन सदस्यीय तो हो गए पर बाकी सदस्यों के लिए नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया बस काम चलाऊ ही रही.

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याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयुक्तों का चुनाव कॉलेजियम से हो. इसमें पीएम, लीडर ऑफ अपोजिशन और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी शामिल हों.

SC ने चार हफ्ते में किया जवाब तलब

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब तलब किया है. लेकिन सुनवाई के दौरान ही अटार्नी जनरल के वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले में हमारी राय केंद्र से अलग भी हो सकती है. लिहाजा वो संविधान की समझ के मुताबिक अपनी राय देंगे. उनकी इस टिप्पणी के बाद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनन्द ने कहा कि अगली सुनवाई में वो सरकार का पक्ष रखेंगी.    

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