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लोकसभा की सीटें हड़प कांग्रेस बनाएगी हेमंत सोरेन को झारखंड का सीएम

झारखंड में राष्ट्रपति शासन खत्म होगा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे. मोर्चा को कांग्रेस ने सपोर्ट दिया है और यह कैबिनेट में भी शामिल होगी. समझौते का ऐलान शुक्रवार को रांची में हेमंत सोरेन ने किया.

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हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन

झारखंड में राष्ट्रपति शासन खत्म होगा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे. मोर्चा को कांग्रेस ने सपोर्ट दिया है और यह कैबिनेट में भी शामिल होगी. समझौते का ऐलान शुक्रवार को रांची में हेमंत सोरेन ने किया. सोरेन जेएमएम के मुखिया शिबू सोरेन के बेटे हैं और पिछली अर्जुन मुंडा सरकार में उपमुख्यमंत्री थे.

इसके साथ ही कांग्रेस और जेएमएम के बीच लोकसभा सीटों का बंटवारा भी हो गया है. इसमें मलाई कांग्रेस के हिस्से आई है. राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 10 पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी, जबकि 4 सीटों पर जेएमएम चुनाव लड़ेगी.

इस नए गठजोड़ के तीन दिलचस्प प्वाइंट हैं. पहला पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा को कांग्रेस ने छोड़ दिया है. इन दोनों दलों ने पिछला चुनाव मिलकर लड़ा था. दूसरा प्वाइंट, लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल को लेकर है. आरजेडी अब तक कांग्रेस जेएमएम गठबंधन का हिस्सा रहती थी और राज्य में ऐसा होगा भी. मगर लोकसभा चुनावों में आरजेडी के हिस्से जीरो आया है. ऐसे में मुमकिन है कि आरजेडी झारखंड में अकेले ही चुनाव लड़े. उधर बीजेपी भी बिना किसी साझेदार के उतरेगी.

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संख्या बल की बात करें तो राज्य विधानसभा में कुल 82 विधायक हैं. यानी साधारण बहुमत के लिए चाहिए 41. कांग्रेस गठबंधन के पास 25 विधायक हैं. जेएमएम के 18 विधायक हैं. इन्हें मिलाकर ही बहुमत पूरा हो जाता है. 18 विधायकों वाली बीजेपी विपक्ष में बैठेगी. बीजेपी ने सितंबर 2010 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में जेएमएम के सपोर्ट से सरकार बनाई थी. इस साल जनवरी में जेएमएम ने सत्ता हस्तांतरण की मांग शुरू कर दी. इस पर सरकार गिर गई और राष्ट्रपति शासन लग गया. उसके बाद से ही कांग्रेस जेएमएम गठजोड़ की अटकलें चल रही थीं.

कांग्रेस हिचकिचा रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि करप्ट शासन के खिलाफ राज्य में उसकी मुहिम को सोरेन के साथ आने से झटका लगेगा. मगर पॉलिटिकल मैनजर्स ने आलाकमान को समझाया कि जेएमएम के साथ आने से लोकसभा में पार्टी को फायदा होगा. इस तर्क के समर्थन में 2004 के नतीजे दिखाए गए और फिर 2009 के भी, जब बिना जेएमएम पार्टी सिर्फ रांची की एक सीट जीत पाई थी.

अब देखते हैं कि राजनैतिक मौकपरस्ती के दौर में मलाई पाने वाले क्या दुहाई दे रहे हैं. हेमंत सोरेन जो गुरुजी की राजनैतिक विरासत संभालने का दावा ठोंकते हैं, सीएम बनेंगे. वह बोले कि ‘झारखंड में अभी राष्ट्रपति शासन चल रहा है, इसे लेकर जेएमएम ने हमेशा पहल की कि राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल हो. इसे लेकर हमने लगातार राज्य और देश में संदेश देने का प्रयास किया. इसके फलस्वरूप आज कांग्रेस पार्टी ने हमें इस बात के लिए आश्वासन दिया कि राज्य के अंदर लोकप्रिय सरकार होनी चाहिए, इस दौरान कई मुद्दों पर विचार हुआ और सरकार बनाने को लेकर एक सहमित बनी. हमने सुनिश्चित किया कि आने वाले लोकसभा चुनावों में भी गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगा. खुशी की बात है कि हम सभी फिर से एक प्लेटफॉर्म पर स्थापित हो रहे हैं.’

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सोरेन खुश हैं क्योंकि गद्दी मिल रही है और कांग्रेस खुश है क्योंकि दशकों से उसे विपक्ष में बैठना पड़ा है. राज्य के नेता सुबोध कांत सहाय ने इस मौके पर कहा कि हमारे सामने सवाल था कि हम राज्य की बरबादी देखते रहें और चुनावों का इंतजार करें या फिर इसे सुधारने की कोशिश करें. हमने सही फैसला लिया. राज्य के साढ़े तीन करोड़ लोग 13 साल से तबाह हो रहे हैं. कांग्रेस चुनावों के पहले राज्य को राजनैतिक स्थायित्व देना चाहती है.

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