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हे राम! 9 महीने की बच्‍ची का यौन उत्‍पीड़न

समाज में किस हद तक गिरावट आ गई है, इसका अंदाजा हाल की घटनाओं से लगाया जा सकता है. जिन्‍हें लोग संत समझकर सिर-आंखों पर बिठाते हैं वही अपने भक्‍तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं. मासूम बच्चियों के साथ रेप जैसी घिनौनी हरकतें भी समाजिक मूल्‍यों में गिरावट को दर्शाती हैं.

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समाज में किस हद तक गिरावट आ गई है, इसका अंदाजा हाल की घटनाओं से लगाया जा सकता है. जिन्‍हें लोग संत समझकर सिर-आंखों पर बिठाते हैं वही अपने भक्‍तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं. मासूम बच्चियों के साथ रेप जैसी घिनौनी हरकतें भी समाजिक मूल्‍यों में गिरावट को दर्शाती हैं.

किसी बीमारी की वजह से तिरूवनंतपुरम के एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करायी गई मात्र नौ महीने की बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने पाया कि उसका यौन उत्पीड़न हुआ है. अब इसे समाजिक मूल्‍यों में गिरावट न कहें तो और क्‍या कहें? एक मासूम जिसकी मुस्‍कुराहट के आगे कोई अपने बड़े से बड़े गम भूल जाए. एक किल्‍कारी जिसके लिए कोई माता-पिता दर-दर ठोकरें खाने को तैयार हो जाएं. ऐसी नन्‍हीं बच्‍ची के साथ यौन उत्‍पीड़न की खबर जाहिर है किसी के भी अंदर गुस्‍सा भर देगी.

पुलिस ने बताया कि इलाज के दौरान डॉक्टरों को बच्‍ची के निजी अंगों में जख्म दिखे. अस्पताल के अधीक्षक की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. परिजनों का कहना है कि उन्हें इस घटना के बारे में डॉक्‍टर के पास लाने से पहले से कोई जानकारी नहीं थी.

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