बढ़ती महंगाई नरेंद्र मोदी सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही है. जहां जेब ढीली होने से आम आदमी का धैर्य भी टूटता नजर आ रहा है, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी इससे खुश नहीं है. सूत्रों की मानें तो आरएसएस ने बढ़ती महंगाई और उस पर सरकार के रवैये पर चिंता जताई है. बताया जा रहा है कि संघ ने पार्टी के साथ अपनी दो बैठकों में यह बात रख दी है.
अंग्रेजी अखबार 'इकोनॉमिक टाइम्स' ने आरएसएस सूत्र के हवाले से यह खबर दी है. खबर के मुताबिक आरएसएस के उच्च पदाधिकारी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से नागपुर और दिल्ली में दो बार मिले. इसके बाद प्रधानमंत्री आवास पर नरेंद्र मोदी के साथ डिनर भी हुआ. बताया जा रहा है कि इसी दौरान आरएसएस पदाधिकारियों ने पार्टी को अपनी चिंताओं से अवगत कराया.
संघ की चिंता यह भी है कि महंगाई और आर्थिक प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर फिलहाल बीजेपी सरकार का रवैया ठीक नहीं है और इसका नुकसान इस साल कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ सकता है. दरअसल, उत्तराखंड में हालिया विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को मिली शानदार जीत ने संघ की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
'निराशा में बदल रहा है उम्मीदों का बोझ'
संघ ने शाह से कहा है कि वह पार्टी मामलों को अपनी मर्जी से चलाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन महंगाई और अन्य
आर्थिक मुद्दों पर बीजेपी का जो रवैया है उससे आगामी विधानसभा चुनावों में नुकसान हो सकता है. एक सूत्र ने कहा,
'सरकार पर उम्मीदों का बोझ, अब निराशा का रूप लेता जा रहा है. उत्तराखंड में हुए हालिया विधानसभा उपचुनाव
को खारिज नहीं किया जा सकता है. दिल्ली में होने वाले चुनाव को लेकर भी चिंताएं हैं.'
महंगाई का वोटर पर असर!
अगर संघ आगामी चुनावों को लेकर फिक्रमंद है तो इसकी ठोस वजह भी है. चुनाव-विश्लेषक संजय कुमार का कहना है
कि सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी) ने हाल में ही एक सर्वे कराया था. इसमें जब लोगों से
पूछा गया कि वोट करने के लिहाज से उन्हें कौन सा मुद्दा सबसे ज्यादा प्रभावित करता है तो 22 फीसदी लोगों ने महंगाई
का नाम लिया था. जबकि 18 फीसदी ने विकास और 16 फीसदी ने भ्रष्टाचार का नाम लिया था.