असम के विभिन्न विभागों ने 108 करोड़ रुपये का बिजली बिल नहीं चुकाया है जबकि आम आदमी के लिए 2014-15 में औसत बिजली शुल्क 17 प्रतिशत बढ़कर 7.45 रुपये प्रति यूनिट किए जाने का प्रस्ताव है. बिजली शुल्क की वसूली नहीं होने के कारण बिजली विभाग संकट में है. इसे 113 मेगावाट की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है जिसके लिए यह अल्पकालिक खुली बोली के जरिए बिजली खरीद रहा है.
एक आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक विभिन्न सरकारी विभागों पर 31 मार्च 2014 तक 108 करोड़ रुपये का बिजली शुल्क बकाया था. इसमें से सबसे अधिक उद्योग विभाग पर 24.34 करोड़ रुपये बकाया है.
इसके बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग का स्थान है जिस पर 19.36 करेाड़ रुपये बकाया है जबकि स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन विभाग पर 17.08 करोड़ रुपये सिंचाई विभाग पर 13.15 करोड़ रुपये बकाया है. कुछ अन्य महत्वपूर्ण विभागों और जिला प्रशासन पर भी बिजली शुल्क बकाया है. दस्तावेज के मुताबिक बिजली शुल्क असम बिजली नियामक आयोग के नियमों के अनुसार वसूला जाता है.
इसमें कहा गया कि राज्य में बिजली कटौती के दौरान बिजली वितरण इकाई ने आम तौर पर सुरक्षा के कारणों से मंत्रियों, विधायकों और भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों के घरों में निर्बाध बिजली आपूर्ति करने की कोशिश की.
बिजली शुल्क की वसूली नहीं होने के कारण बिजली विभाग संकट में है क्योंकि व्यस्त अवधि में 1,400 मेगावाट की मांग के मुकाबले 225 मेगावाट और गैर-व्यस्त अवधि में 1,062 मेगावाट की मांग के मुकाब 113 मेगावाट की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
इस किल्लत से निपटने के लिए असम बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड रोजाना भारत ऊर्जा एक्सचेंज से अल्पकालिक खुली बोली के जरिए बिजली खरीदता है.
इस बीच बिजली विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सरकार 2014-15 में बिजली का औसत शुल्क 6.37 रुपये प्रति इकाई से बढ़ाकर 7.45 रुपये प्रति इकाई करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. रिपोर्ट में कहा गया कि बिजली शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव शुल्क वसूली न हो पाने, अनियंत्रित बिजली खरीद और ईंधन लागत के कारण किया गया है.