करगिल युद्ध के हीरो और रिटायर्ड ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पहले भी हुईंं हैं लेकिन अब उसका राजनीतिकरण किया जा रहा है. टाइगर हिल पर कब्जा जमाने वाली ब्रिगेड की कमान बाजवा के हाथों में ही थी. सिलसिलेवार ट्वीट कर रिटायर्ड ब्रिगेडियर ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पर कई विवादित बयान दिए गए हैं. इस पर हो रही राजनीति को देखकर दुख हो रहा है. सेक्टर लेवल पर ऐसी स्ट्राइक पहले भी हुई हैं. अब उन्हें गाजे-बाजे के साथ राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है लेकिन कोई परिणाम नहीं दिखता. यह पूरी तरह 'नो कैजुअल्टी' पर आधारित होता है.
1971 का बांग्लादेश युद्ध लड़ चुके एमपीएस बाजवा ने अन्य ट्वीट में लिखा, पहले हुईं 'सर्जिकल स्ट्राइक' स्थानीय लेवल पर होती थीं, लेकिन नतीजों के साथ असली दुश्मन (पाकिस्तानी सेना) को उसका अंजाम भुगतना पड़ता था. बाजवा ने लिखा, इसमें हमें भी कई बार चोट पहुंचती थी. लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादियों के खिलाफ एक किलोमीटर के दायरे में ही इसे अंजाम दिया जाता है, जिसके नतीजे भी दिखाई नहीं देते. वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके बाजवा ने बाद में एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने सफाई दी. इसमें उन्होंने लिखा, मेरे ट्वीट को राजनीतिक एंगल से न देखें. मैं सिर्फ एक सैनिक हूं. मेरा मकसद आर्मी ऑपरेशन से जुड़े फैक्ट्स को बाहर लाना है. मैं हाल ही में हुए सर्जिकल स्ट्र्राइक के खिलाफ नहीं हूं. यह एक शानदार काम था.
Lot many controversial statements on Surgical Strikes. Sad that it’s been politicised .Such strikes at Sector levels were carried out earlier also . Now done at National level , with publicity & fanfare but with no visible results. Total emphasis on ‘No Casuality‘ to be incurred
— Brig MPS Bajwa (R) (@BrigMps) May 6, 2019
All ‘Surgical Strikes’ carried carried out earlier were , though, at local levels but against real enemy ( Pakistan Army) with results , at times we too suffered but this time ,although ,at National level but only within one Km distance against militants without visible results.
— Brig MPS Bajwa (R) (@BrigMps) May 6, 2019
18 सितंबर 2016 को हुए उरी आतंकवादी हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे, जिसके बाद भारतीय सेना के पैरा कमांडोज ने पीओके में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड्स तबाह कर दिए थे. पहली बार सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी थी. इसके बाद इस पर काफी सियासत भी हुई थी. पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं ने भाषणों में इसे जमकर भुनाया था. विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर सेना के शौर्य पर राजनीति करने का आरोप मंढा था.A clarification..Kindly all are requested NOT to view my tweets from any political angle .... I am a ‘Die Hard’ Soldier. Aim is to bring out facts related to Army operations ,I have nothing against the Surgical Strikes carried out recently .. it was indeed a marvellous job done
— Brig MPS Bajwa (R) (@BrigMps) May 6, 2019
इस साल 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर बम बरसाकर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया था. इसके बाद पाकिस्तानी सेना का एफ-16 विमान भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने मार गिराया था. लेकिन दुर्भाग्यवश उनका विमान भी क्षतिग्रस्त हो गया और वह पैराशूट समेत पीओके में जा गिरे. यहां पाक सेना ने उन्हें कैद कर लिया. लेकिन 60 घंटे के भीतर पाकिस्तान ने उन्हें वाघा बॉर्डर से भारत वापस भेज दिया. लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी और भाजपा नेता पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने और पायलट को वापस लाने की बात अकसर कहते हैं.
हाल ही में कांग्रेस ने यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान हुए सर्जिकल स्ट्राइक की सूची जारी की, जिसमें तारीख भी बताई गई थी. कांग्रेस ने कहा था कि यूपीए शासन में 6 बार और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में दो बार सर्जिकल स्ट्राइक की गई. लेकिन न तो मनमोहन सिंह और न ही वाजपेयी ने इसे लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांग्रेस ने यह भी कहा था कि अतीत में हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर उन्होंने कभी छाती नहीं पीटी.