महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध और बलात्कार विरोधी कानून में संशोधन से जुड़े विधेयक पर गुरुवार को कैबिनेट में चर्चा नहीं हुई.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि एंटी रेप लॉ पर अब तक सरकार में सहमति नहीं बन पाई है जिस वजह से कैबिनेट बैठक में इस पर चर्चा नहीं हो पाई.
दरअसल एंटी रेप कानून को लेकर दो मंत्रालयों में पेंच फंस गया है. सूत्रों की माने तो इस कानून की बारीकियों को लेकर कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय में सहमति नहीं बन पाई है.
कानून मंत्रालय चाहता है बिल में यौन शोषण की जगह बलात्कार शब्द का इस्तेमाल हो और सहमति से सेक्स की उम्र 16 साल कर दिया जाए.
सहमति से सेक्स को लेकर कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा है कि समझौते से शारीरिक संबंध बनाने को अपराध के दायरे में लाना ठीक नहीं.
गौरतलब है कि पिछले महीने जारी अध्यादेश के स्थान पर इस विधेयक को लाया जा रहा है. इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि किसी आधिकारिक पद पर आसीन व्यक्ति अगर बलात्कार का दोषी पाया जाता है तो उसे अपना समूचा जीवन जेल में बिताना होगा. अध्यादेश में इन लोगों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद रखी गई थी.
यह नया विधेयक पिछले दिसंबर में लोकसभा में पेश अपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक-2012 का भी स्थान लेगा.
उधर, कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने उम्मीद जताई है कि सरकार इस विधेयक को बजट सत्र के पहले चरण में पारित कराने में सफल रहेगी. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून के दायरे में वैवाहिक बलात्कार को नहीं रखा गया है क्योंकि सरकार इस पर व्यापक चर्चा चाहती है.