हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटना को लेकर अब तक जुबानी जंग जारी है, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाकर पराली जलाने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है. पिछले हफ्ते तक दिल्ली हांफ रही थी. जहरीली हवा में खतरनाक कणों का स्तर तीन साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. सुप्रीम कोर्ट की मनाही के बावूजद धान के खेत को साफ करने के लिए पराली जलाने का काम जारी है.
इंडिया टुडे की डाटा टीम डीआईयू ने पूरे देश में इन घटनाओं की मैपिंग के जरिए पता करने की कोशिश की कि आखिर कौन सा राज्य और कौन सा इलाका पराली जलाने में सबसे आगे है. 28 अक्टूबर से लेकर 4 नवंबर के दौरान अस्सी फीसदी यानी 8,974 पराली जलाने की घटनाएं अकेले पंजाब में हुईं.
पराली जलाने की घटना में दूसरे नंबर पर हरियाणा और झारखंड हैं. हालांकि सैटेलाइट केवल जलने की घटना को रिकॉर्ड करता है, चाहे वो जंगल की आग हो या फिर पराली की.

आखिर पंजाब में कौन जला रहा है पराली?
सैटेलाइट से इकट्ठा किए गए डाटा बताते हैं कि पंजाब में कुछ इलाके खासतौर पर संगरूर, फिरोजपुर और बठिंडा में पराली जलाने की घटना ज्यादा है. अगर हम पंजाब में पिछले दिनों पराली जलाने वाले टॉप टेन इलाके पर नजर डालें, तो संगरूर में किसानों के पराली जलाने की 1300 से ज्यादा घटनाएं सामने आईं. दूसरे नंबर पर पराली जलाने की 1,174 घटनाएं फिरोजपुर में देखने को मिलीं.

क्या वाकई हरियाणा में कम पराली जलाई गई?
धान की कटाई पकने पर होती है, जो सीधे तौर पर तापमान पर निर्भर होती है. इस बार पंजाब के मुकाबले हरियाणा में फसल जल्दी तैयार हो गई. लिहाजा किसानों ने खेतों में आग लगाकर पराली पहले ही जला दी. पंजाब के किसान धान की कटाई देर से कर रहे हैं. यही वजह है कि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं पंजाब जैसी नहीं दिख रही हैं. हरियाणा के जो किसान पराली जला भी रहे हैं, वो पंजाब से लगे उत्तरी हिस्से वाले ज्यादा हैं.
पिछले एक हफ्ते के भीतर हरियाणा के फतेहाबाद इलाके में पराली जलाने की 200 घटनाएं घटित हुई हैं, जबकि कैथल और सिरसा जैसे इलाके में पराली जलाने की क्रमश: 91 और 57 घटनाएं समाने आई हैं.

आखिर झारखंड तीसरे नंबर पर क्यों?
पिछले एक हफ्ते के दौरान झारखंड में कुल 324 एक्टिव फायर प्वाइंट्स दिखे हैं, जिनमें से ज्यादातर प्वाइंट्स कोलबहूल धनबाद, बोकारो और सिंहभूमि जैसे इलाकों के हैं, जहां कोल खदानों में भी अक्सर आग लगी रहती है.

उत्तर प्रदेश में ज्यादातर पिछले हफ्ते के दौरान मथुरा में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं समाने आई हैं. हालांकि इसमें पेट्रोल रिफाइनरी से निकलने वाली लगातार लपट भी शामिल हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मध्य-पूर्व के श्रावस्ती जिले में आग की क्रमश: पांच और छह पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं.

पूरे देश के पिछले नौ साल का इतिहास देखें, तो तकरीबन हर साल एक लाख से ज्यादा आग की घटनाएं होती हैं, जिनमें से ज्यादातर पराली जलाने से जुड़ी हुई हैं. हर जगह धान या गेहूं का सीजन अलग-अलग है. इसलिए पराली जलाने की घटना भी एक साथ घटित नहीं होती हैं. पंजाब की पराली के साथ मुश्किल यह है कि यहां धान ऐसे समय कटना शुरू हो रहा है, जब ठंड ज्यादा है और दिल्ली जहरीली हवा से हांफ रही है.

4 नवंबर तक के आंकड़े बताते हैं कि एक हफ्ते में देशभर में कुल 10 हजार 271 आग की घटनाएं सेटेलाइट की नजर में आईं. करीब 84 फीसदी संख्या अकेले पंजाब में पराली जलाने की हैं. फिलहाल फसल चक्र और धान की कटाई की मियाद को देखते हुए साफ है कि पराली जलाने का सिलसिला अगले दो हफ्ते तक जारी रह सकता है. इसके चलते दिल्ली समेत एनसीआर में लोगों को प्रदूषण से जूझना पड़ सकता है.