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ये 3 हिम्‍मत दिखाएं NaMo तो नोटबंदी जैसा कुछ भी नहीं

नोटबंदी भारत के ताजा इतिहास का सबसे साहसिक प्रयोग है और इसका बुरा असर खत्‍म करने का तरीका भी उतना ही साहसिक होना चाहिए. नोटबंदी का वास्‍तविक मरहम प्रधानमंत्री की मेज पर रखा है बशर्ते वे उसे आजमाने की हिम्‍मत जुटा सकें.....तो सरकार से अब जिस हिम्‍मत की दरकार है वह रहीं यह...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नोटबंदी भारत के ताजा इतिहास का सबसे साहसिक प्रयोग है और इसका बुरा असर खत्‍म करने का तरीका भी उतना ही साहसिक होना चाहिए. नोटबंदी का वास्‍तविक मरहम प्रधानमंत्री की मेज पर रखा है बशर्ते वे उसे आजमाने की हिम्‍मत जुटा सकें.....तो सरकार से अब जिस हिम्‍मत की दरकार है वह रहीं यह...

1. जीएसटी में केवल दो टैक्‍स दरें रखी जाएं. न कि तीन तरह के जीएसटी , कोई सेस न अन्‍य टैक्‍स. एक दर आम खपत वाले उत्‍पाद व सेवाओं के लिए और एक लक्‍जरी उत्‍पादों के लिए. यह 12 और 18 फीसदी हो सकती है.

- नोटबंदी ने खपत और मांग को तोड़ दिया है. जीएसटी का मौजूदा स्‍वरूप टैक्‍स का बोझ घटाने में कोई बड़ा योगदान नहीं करेगा, जबकि दो दरों वाले जीएसटी से बड़ी मात्रा में उत्‍पादन व सेवाएं सस्‍ती होंगी. यह महंगाई को नियंत्रित रखते हुए मांग को नई ताकत दे सकता है. यह लिखने की जरूरत नहीं कि ऊंचा टैक्‍स , चोरी और काले धन की वजह है.

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2. हर तरह की टैक्‍स रियायतों की समाप्ति. न कोई टर्नओवर छूट सीमा और नहीं किसी उद्योग के लिए विशेष छूट.

- मौजूदा जीएसटी के तहत कारोबारियों को तीस से 60 तक पंजीकरण व रिटर्न भरने होंगे. इससे कंप्‍लायंस कॉस्‍ट बढ़ने का डर है. एक अच्‍छा सहज जीएसटी कई तरह के रिटर्न पंजीकरण से मुक्ति देगा. सभी कारोबारियों के लिए अनिवार्य रजिस्‍ट्रेशन के जरिए हर तरह के उत्‍पादन, वितरण और खपत को टैक्‍स की निगाह में लाया जा सकता है यानी कि वह काम हो सकता है जिसे नोटबंदी नहीं कर पाई.

3. छोटे बड़े सभी तरह के कारोबारियों के लिए जीएसटी के तहत अनिवार्य रजिस्‍ट्रेशन, जैसे कि आम लोगों के लिए पैन अनिवार्य है.

- कम टैक्‍स और सभी कारोबारियों का पंजीकरण राज्‍यों के लिए ज्‍यादा राजस्‍व की गारंटी है. राज्‍यों को होने वाले नुकसान की भरपाई की गारंटी केंद्र सरकार पहले ही दे चुकी है. कम टैक्‍स, ज्‍यादा मांग और कारोबारी सहजता यही तो चाहिए निवेश के लिए. जिसका माहौल नोटबंदी ने खत्‍म कर दिया है.

यह बदलाव संभव हैं, क्‍योंकि जीएसटी का कानून अभी संसद में नहीं पहुंचा है. अगर ऐसा जीएसटी हमें मिलता है तो नोटबंदी के कई नुकसानों की भरपाई हो सकती है.

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