scorecardresearch
 

पहली बार 'ससुर बाड़ी' जाएंगे प्रणब मुखर्जी

बांगलादेश की यात्रा पर आए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंगलवार को पहली बार नराइल जिले में अपनी 'ससुर बाड़ी' (ससुराल) जाएंगे. उनके साथ उनकी पत्नी सुवरा मुखर्जी भी जाएंगी.

Advertisement
X

बांगलादेश की यात्रा पर आए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंगलवार को पहली बार नराइल जिले में अपनी 'ससुर बाड़ी' (ससुराल) जाएंगे. उनके साथ उनकी पत्नी सुवरा मुखर्जी भी जाएंगी.

मुखर्जी ने एक साक्षात्कार में स्थानीय चैनल से कहा, 'नराइल आमार ससुर बाड़ी' (नराइल मेरा ससुराल है).' वह ढाका से 150 किलोमीटर दूर नराइल के सदर उप-जिले में अपने ससुराल पक्ष के पूर्वजों के गांव भद्रबिला जाएंगे. वह हेलीकॉप्टर से नराइल जाएंगे.

मुखर्जी ने कहा, 'मैं कभी नराइल नहीं गया. मेरी पत्नी अपने छोटे समूह गीतांजलि के साथ 1995 में वहां गई थी. मेरी बेटी भी वहां गई है.'

बांग्लादेश में उन्हें क्या अच्छा लगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "हर कुछ. हम उस राष्ट्र का हिस्सा हैं. हमारी भाषा, संस्कृति, साहित्य, विरासत, मूल्य सब समान है. इसलिए जड़ें काफी गहरी हैं.'

बांग्लादेश के गठन के लिए 42 वर्ष पहले हुए संघर्ष में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की भूमिका के लिए उन्हें सोमवार को देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. शाहबाग में युद्ध अपराधियों को सजा देने की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के बीच इस सर्वोच्च पुरस्कार का सम्मान लोगों की नजरों में अभी भी ऊंचा है.

Advertisement

मुखर्जी सोमवार को एक छोटे समारोह में बांग्लादेशी सामाजिक कार्यकर्ता झरना धारा चौधरी को पद्मश्री पुरस्कार भेंट करेंगे. चौधरी को यह सम्मान गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर दिया गया था. वह नोआखाली में गांधी आश्रम ट्रस्ट की सचिव है. गांधी आश्रम ट्रस्ट ग्रामीण विकास के गांधी दर्शन के साथ नोआखाली में एक समाज सेवी और विकास संस्था के तौर पर काम कर रहा है. इसकी स्थापना 1946 में हुई थी.

उनसे पूछा गया कि क्या इस उप-महाद्वीप के आतंकवादी अड्डे के रूप में तब्दील हो जाने का खतरा है और क्या धर्मनिरपेक्षता खतरे में है. इसके जवाब में मुखर्जी ने कहा कि खतरा है, लेकिन वह आम लोगों में भरोसा रखते हैं. उन्होंने कहा, 'आखिर में हमेशा बेहतर इरादे की ही जीत होती है. बांग्लादेश के लोगों ने सत्ता हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि मुक्त होने के लिए कुर्बानी दी है. यदि मैं 'ज्योत्स्ना इबोंग जनानी' का उद्धरण पेश करूं तो हजारों गांवों में हजारों शहीद सो रहे हैं. रात उनके कब्र को सहला रही है. शहीदों की पूरी सूची तैयार होनी चाहिए. काम जारी है. हम सभी अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए आज संघर्ष कर रहे हैं.'

Advertisement
Advertisement