प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के इंतजाम और चाक-चौबंद करने के लिए कुछ नए कदम उठाए गए हैं. जब भी सड़क मार्ग से उनका काफिला निकलना होता है तो उससे पहले दो रास्ते तय किए जाते हैं और उनके काफिले के अलावा एक डमी (नकली) काफिला भी साथ चलता है. पहले ऐसा सिर्फ आपात स्थिति में ही किया जाता था. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने यह खबर दी है.
सोशल मीडिया पर मोदी के आलोचक इसे शुभ लक्षण नहीं मान रहे. वह पूछ रहे हैं कि चुनाव से पहले खुद को 'देश के खजाने का चौकीदार' बताने वाले मोदी अब अपनी सुरक्षा पर पैसा क्यों फूंक रहे हैं.
आखिरी वक्त पर चुना जाता है रास्ता
प्रधानमंत्री की यात्रा के इंतजाम से जुड़े एक सुरक्षा अधिकारी ने अखबार को
बताया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवादियों के निशाने पर हैं. इसलिए जब भी
वह सड़क से यात्रा करने वाले होते हैं, उससे पहले दो रास्ते तय किए जाते हैं
और उनके काफिले के साथ एक नकली काफिला भी होता है. दोनों ही रास्तों पर
ट्रैफिक रोक दिया जाता है. आखिरी वक्त पर फैसला किया जाता है कि
प्रधानमंत्री का काफिला किस रास्ते से गुजरेगा. जो नकली काफिला होता है, वह
दूसरे रास्ते पर चला जाता है.' प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा स्पेशल प्रोटेक्शन
ग्रुप (एसपीजी) के पास है.
आपात स्थिति में होता था ऐसा
सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि पहले भी प्रधानमंत्रियों की यात्रा के दौरान दो
रास्ते तय किए जाते थे, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता था. इस तरह का कदम
सिर्फ आपात स्थिति में ही उठाया जाता था. अधिकारी ने बताया, 'नरेंद्र मोदी को
लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों से
खतरा है. इसके अलावा, इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) और सिमी भी उन्हें
निशाना बनाने की फिराक में हैं. जब भी वह सड़क मार्ग से गुजरने वाले होते हैं
तो आतंकवादी संगठनों की इस पर नजर होती है. इसलिए उनकी सुरक्षा की
खातिर कई नए कदम उठाए गए हैं.'
आतंकी बैठकों में मोदी का जिक्र?
पीएम की सुरक्षा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि खुफिया एजेंसियों को पता चला है
कि नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए आतंकवादी संगठनों के बीच हाल में
ही कई बैठकें हुई हैं. इनमें से एक नेपाल में आईएम और सिमी के बीच और
दूसरी पाकिस्तान में लश्कर के आतंकवादियों के बीच हुई थी. इन बैठकों में मोदी
का जिक्र किया गया था.